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कमसिन by Seema Saxena in Hindi Novels
न तौलना, न मापना, न गिनना कभी
हूँ गर्भगृह में समाया
निशब्द, निश्छल, निस्वार्थ, अडिग
पवित्र प्रेम मैं ! !
होस्टल के...
कमसिन by Seema Saxena in Hindi Novels
बुआ जी का दो कमरे का घर, वैसे तो काफी बड़ा घर है, चार मंजिल तक बना हुआ पर और कमरे किराये पर उठे हुए हैं ! वे अकेले ही रहत...
कमसिन by Seema Saxena in Hindi Novels
वो सड़क तक ही पहुची थी कि फिर से रवि का फोन आ गया !
घर से निकल कर सड़क तक आ गयी हूँ !
ठीक है आप वहीँ पर रुको ! मैं आ र...
कमसिन by Seema Saxena in Hindi Novels
कुछ खाना है ? रवि ने पूछा !
नहीं, अभी मेरा मन नहीं कर रहा !
चलो नाश्ता कर ले ! काफी समय हो गया है !
कहीं रुकेंगे ?...
कमसिन by Seema Saxena in Hindi Novels
अब कार में वे दोनों ही बचे थे ! इतना प्यारा मौसम और साथ में अपना प्यार, मन बड़ा भावुक सा हो रहा था ! और अभी अभी ईश्वर ने...