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ख़ब्त by Mangi in Hindi Novels
" विजय के बापू मैंने तो आपसे पहले ही कहा था, पर आपकी जिद्द के सामने मेरी चलती कहा है ? अब देख लिया ना, और जोड़ो सड़कछाप बि...
ख़ब्त by Mangi in Hindi Novels
" आ जुबान रख, भरोसो कोनी के ? न मैं मुकरूँगा और ना मेरा विजया..." अरे, भानु कर दी न छोटी बात, बिस्वास है तेरी जुबां पे,...