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नदी की उँगलियों के निशान by Kusum Bhatt in Hindi Novels
नदी की उंगलियों के निशान हमारी पीठ पर थे। हमारे पीछे दौड़ रहा मगरमच्छ जबड़ा खोले निगलने को आतुर! बेतहाशा दौड़ रही पृथ्वी के...
नदी की उँगलियों के निशान by Kusum Bhatt in Hindi Novels
भुवन चाचा के चेहरे पर धूप की तितली बैठी, माधुरी हवा में उड़ी उसके पंख पकड़ कर मैं भी उड़ने लगी....
उस विजन में हम दो लड़किय...