Episodes

मनचाहा by V Dhruva in Hindi Novels
जब से होश संभाला पापा को संघर्ष करते हुए देखा है मैंने। फिर भी मम्मी बिना किसी शिकायत के जिंदगी में साथ दें रहीं हैं। हम...
मनचाहा by V Dhruva in Hindi Novels
शाम के 5:30 बज चुके थे। वैसे कोलेज मेरे घर से आधा घंटा ही दुर है। जेसे जेसे स्टोप आते गए वेसे वेसे बस की भीड़ भी कम होती...
मनचाहा by V Dhruva in Hindi Novels
(आगे की कहानी जानने के लिए मनचाहा और मनचाहा 2 पढ़ें) बसस्टेंड पहुंच कर दिशा से हायहल्लो किया उतने में बस आ गईं। ईधर उधर...
मनचाहा by V Dhruva in Hindi Novels
          शादी में पहुंच गए फाइनली। शादी हमारे दूर के चाचा की बेटी की थी। बारात की खातिरदारी चल...
मनचाहा by V Dhruva in Hindi Novels
पिछे मुडकर देखा तो चोंक गई। पिछे वहीं लड़का था जिसे मैंने निशा के साथ कार में देखा था। ? उसने फिर से कहा, - " में आई हेल...