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स्वाभिमानी by Ivan Turgenev in Hindi Novels
1830
बूढ़ा नौकर फिलिप्पिच दबे पांव, जैसी कि उसकी आदत थी, गले में रूमाल बांधे वहां पहुंचा। उसके होंठ खूब कसकर दबे हुए थे...
स्वाभिमानी by Ivan Turgenev in Hindi Novels
1837
सात साल बीत गये। उस समय हम लोग पहले के समान ही मास्‍को में रहते थे। किंतु अब मैं एफ0ए0 के दूसरे साल का विद्यार्थी...
स्वाभिमानी by Ivan Turgenev in Hindi Novels
सात नहीं, बल्कि पूरे बारह वर्ष बीत गये और मैंने अपने जीवन के बत्‍तीसवें वर्ष में पदार्पण किया था। मेरी दादी को मरे हुए ब...
स्वाभिमानी by Ivan Turgenev in Hindi Novels
इस घटना को बीते बारह साल गुजर गये। रूस का हरेक आदमी जानता है और बराबर याद रखेगा कि सन् 1849 और 1861 के सालों के बीच रूस...