Do Bund Aanshu by Pradeep Shrivastava

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दो बूँद आँसू by Pradeep Shrivastava in Hindi Novels
भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव सकीना यह समझते ही पसीना-पसीना हो गई कि वह काफ़िरों के वृद्धाश्रम जैसी किसी जगह पर है। ओम जय जगदी...
दो बूँद आँसू by Pradeep Shrivastava in Hindi Novels
भाग -2 सकीना के दिमाग़ में एक बार यह बात भी आई कि गाड़ी से चला था, कहीं रास्ते में कोई अनहोनी तो नहीं हुई, किसी ने उसे नु...
दो बूँद आँसू by Pradeep Shrivastava in Hindi Novels
भाग -3 वह यह भी कह रही थीं कि “जब भगवान राम लंका विजय कर वापस आए तो उनके भाई भरत जो चौदह वर्षों तक राज सिंहासन पर...
दो बूँद आँसू by Pradeep Shrivastava in Hindi Novels
भाग -4 क्या उन्हें यह बताऊँगी कि शौहर ने अपनी जिन कमज़र्फ़ औलादों को मज़हबी तालीम देने के लिए, अपने जिस सबसे क़रीबी हाफ़िज़ को...