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सन्नाटे में शनाख़्त by Pradeep Shrivastava in Hindi Novels
भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव उसने अचानक ही उस पर घूँसे-लात बरसा कर, उसे बेड से नीचे धकेल दिया। टाइल्स लगे फ़र्श पर अकस्मात्&z...
सन्नाटे में शनाख़्त by Pradeep Shrivastava in Hindi Novels
भाग -2 कितनी बुरी तरह चोटिल हो गई थी, सवेरा होते-होते जब मेरी जान पर बन आई तो शैतान को लगा कि कहीं मर-मरा गई तो जेल जाना...
सन्नाटे में शनाख़्त by Pradeep Shrivastava in Hindi Novels
भाग -3 अंततः तबरेज़ ने उसे दबोच ही लिया है, और दोनों गुत्थम-गुत्था हो गए हैं, उठा-पटक, लात-घूँसे, दाँत काटने से लेकर बाल...
सन्नाटे में शनाख़्त by Pradeep Shrivastava in Hindi Novels
भाग -4 “आज भी शाम को इसे ऑफ़िस से लेने गया तो यह बहुत देर से आई, वजह पूछते ही एकदम भड़क गई। रास्ते भर झगड़ती रही, घर...