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साँसत में काँटे by Pradeep Shrivastava in Hindi Novels
भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव उसकी आँखों में भर आए आँसू उसके गालों पर गिरने ही वाले थे। आँसुओं से भरी उसकी आँखों में भीड़ और...
साँसत में काँटे by Pradeep Shrivastava in Hindi Novels
भाग -2 इसके बाद तो आतंकवादियों को जैसे और छूट दे दी गई। वहाँ भूले से भी तिरंगा दिखना न सिर्फ़ बंद हो गया, बल्कि जलाया भी...
साँसत में काँटे by Pradeep Shrivastava in Hindi Novels
भाग -3 उसके अब्बा ने कहा, “हमारा परिवार पाँचों वक़्त का नमाज़ी है। अल्लाह के ही बताए रास्ते पर चलता है, मज़हब के लिए...
साँसत में काँटे by Pradeep Shrivastava in Hindi Novels
भाग -4 उसके अब्बू कुछ देर सोचने के बाद बोले, “हमारी यही तो ग़लती, ग़लतफ़हमी है कि, हम जिन दहशतगर्दों को अपना फ़रिश्ता...