जो मिले तुमसे by M K in Hindi Novels
" मरहम बनकर जख्म गहरे दिए क्यों ? आसान नहीं होता है किसी को दिल से भुला जाना " थके हारे से एक नव युवक सड़क किनारे खड़ा थ...
जो मिले तुमसे by M K in Hindi Novels
मैं कुछ बोल रहा हूं तुम्हे सुनाई नहीं दे रहा है, वो तुम्हे छोड़ कर जा चुकी है कभी वापस न आने के लिए।। समीर का सब्र का बा...
जो मिले तुमसे by M K in Hindi Novels
सब कुछ अच्छा चल रहा था ..... समीर के टेस्ट में मार्क्स भी अच्छे आते थे , आंखों में सपने बहुत बड़े थे इसलिए खूब मन लगा कर...
जो मिले तुमसे by M K in Hindi Novels
धीरे धीरे समय बीतने लगा था , समीर तारा को छुप छुप कर देखने लगा था । तारा के सामने आते ही अपनी नजरे झुका यूं लेता था जैसे...