Utkarsh-Abhilasha book and story is written by शिखा श्रीवास्तव in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Utkarsh-Abhilasha is also popular in Science-Fiction in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
उत्कर्ष-अभिलाषा - Novels
by शिखा श्रीवास्तव
in
Hindi Science-Fiction
इंसान या यूँ कहिये इस ब्रह्मांड का कोई भी जीव चाहे लाख कोशिश क्यों ना कर ले, प्रकृति ने, ईश्वरीय सत्ता ने उसके भाग्य में जो लिख दिया है, उसकी हथेली की रेखाओं में जो दायित्व उसे सौंप दिया है, उसे पूरा करने के रास्ते पर चलने से वो स्वयं को नहीं रोक सकता है।
कुछ इसी तरह अभी-अभी अपना इक्कीसवां जन्मदिन मना चुका वो नवयुवक जिसके चेहरे पर सदा ही देवताओं सा आलौकिक तेज़ नज़र आता था, जो अपने दिव्यत्व से सहज ही किसी का भी मन मोह लेता था, राज्य के सबसे अमीर परिवार का इकलौता बेटा जिसे उसके पिता ने नाम दिया था 'उत्कर्ष', अपने सबसे अज़ीज मित्र 'प्रणय' को साथ लिए अपने निजी विमान से उड़ा जा रहा था अटलांटिक महासागर में स्थित इस पृथ्वी के सबसे खतरनाक द्वीप ग्रांडे की तरफ।
वो द्वीप जहाँ इंसान नहीं सिर्फ बड़े-बड़े ख़तरनाक साँप पाए जाते थे, वहाँ जाने का उसका बस एक ही मकसद था अपने क्लासमेट्स के साथ लगी हुई शर्त को जीतना।
इंसान या यूँ कहिये इस ब्रह्मांड का कोई भी जीव चाहे लाख कोशिश क्यों ना कर ले, प्रकृति ने, ईश्वरीय सत्ता ने उसके भाग्य में जो लिख दिया है, उसकी हथेली की रेखाओं में जो दायित्व उसे सौंप दिया ...Read Moreउसे पूरा करने के रास्ते पर चलने से वो स्वयं को नहीं रोक सकता है।कुछ इसी तरह अभी-अभी अपना इक्कीसवां जन्मदिन मना चुका वो नवयुवक जिसके चेहरे पर सदा ही देवताओं सा आलौकिक तेज़ नज़र आता था, जो अपने दिव्यत्व से सहज ही किसी का भी मन मोह लेता था, राज्य के सबसे अमीर परिवार का इकलौता बेटा जिसे उसके
उत्कर्ष का हवाई-जहाज ग्रांडे द्वीप पर एक उचित जगह देखकर लैंड कर चुका था। जहाज की खिड़की से उत्कर्ष ने बाहर द्वीप का एक नज़ारा देखा और फिर उसने अपने बैग से दो विशेष बुलेट-फायरप्रूफ सूट निकालकर उनमें से ...Read Moreप्रणय की तरफ बढ़ाया और दूसरा खुद पहनने लगा। ये बुलेट-फायरप्रूफ सूट हर तरफ से इस तरह पैक था कि उसके अंदर मौजूद इंसान को आग-पानी के अलावा और भी कोई बाहरी चीज, कोई जीव-जंतु लाख कोशिशों के बाद भी स्पर्श नहीं कर सकता था। उनकी आँखों के सामने वाले हिस्से पर भी मोटा सुरक्षित ग्लास बना हुआ था जिससे
"आइए-आइए हमारे सरकार बहादुर का स्वागत है जो इस खतरनाक द्वीप पर खतरों से खेलकर सही-सलामत लौट आए।" पायलट ने एक बार फिर आगे बढ़कर उत्कर्ष को गले लगाते हुए उसकी पीठ पर हाथ फेरा। प्रणय, जिसका चेहरा पायलट ...Read Moreचेहरे की तरफ ही था उसने उसके रंग उड़े हुए चेहरे को देखकर मज़ाकिया अंदाज में तंज कसते हुए कहा "क्यों भाई क्या हो गया तुम्हें? हमें देखकर तुम्हारी आवाज़ इतनी काँप क्यों रही है? तुम कहीं ये तो नहीं सोच रहे थे कि कोई खतरनाक साँप आकर उत्कर्ष को डंस लेगा और फिर तुम अकेले ही जहाज उड़ाते हुए
इन्हीं ख्यालों में खोए हुए उत्कर्ष की तंद्रा तब टूटी जब ड्राइवर ने कार का दरवाजा खोलकर कहा "छोटे साहब हम घर पहुँच गये हैं।" "हम्म हाँ।" उत्कर्ष ने अपना सर झटकते हुए कहा और प्रणय के कंधे को ...Read Moreउसे जगाया। "नहीं चाचू, मुझे मत मारिये, मेरी कोई गलती नहीं है।" बड़बड़ाते हुए प्रणय ने ऑंखें खोलीं। "अबे यार उफ़्फ़ सपने में भी डरता है तू? हद है। चल बाहर निकल।" उत्कर्ष ने प्रणय की बड़बड़ाहट सुनकर झल्लाते हुए कहा। "ओहह शुक्र है भगवान का की वो सिर्फ एक सपना था।" प्रणय ने गहरी साँस ली और गाड़ी से