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उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए by Neerja Hemendra in Hindi Novels
नीरजा हेमेन्द्र   सम्मान -- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा प्रदत्त विजयदेव नारायण साही नामित पुरस्कार, शिंगलू स...
उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए by Neerja Hemendra in Hindi Novels
भाग 2 घरों की कच्ची-पक्की छतों और मड़ईयों पर फैली लौकी, कद्दू, तुरई की बेलें पीले, श्वेत फूलों से भर जातीं। उस समय सब्जिय...
उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए by Neerja Hemendra in Hindi Novels
भाग 3 इस वर्ष मैं दसवीं की व दीदी बारहवीं की परीक्षा दे रही थी। हम दोनों की इस वर्ष बोर्ड की परीक्षायें थीं। मेरे मन में...
उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए by Neerja Hemendra in Hindi Novels
भाग 4 समय का पहिया अपनी गति से चलता जा रहा था। मैंने इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी तथा दीदी ग्रेजुएशन के अन्त...
उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए by Neerja Hemendra in Hindi Novels
भाग 5 उस समय के पडरौना से अब का पडरौना भिन्न हो चुका है। अब यहाँ उतनी कट्टरता से जातिप्रथा दिखाई नही देती। शिक्षा के प्र...