Lout aao Amara book and story is written by शिखा श्रीवास्तव in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Lout aao Amara is also popular in Thriller in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
लौट आओ अमारा - Novels
by शिखा श्रीवास्तव
in
Hindi Thriller
यूँ तो अभी कृष्ण-पक्ष की समाप्ति में दो दिन बचे हुए थे और चंद्रमा अपनी बहुत ही हल्की छाया में तारों के साथ धीमी-धीमी रोशनी फैलाते हुए आसमान में चहलकदमी कर रहा था लेकिन फिर भी अपने बिस्तर पर लेटे हुए खिड़की से इस दृश्य को निहार रही पायल अपने हृदय में अमावस्या के घोर अँधकार को महसूस करते हुए बहुत बेचैनी से करवट बदल रही थी।
पायल की इकलौती बेटी अमारा जो अभी-अभी दस वर्ष की हुई थी, कल अपने पापा के साथ अपने नए विद्यालय जाने वाली थी।
अमारा, जो पढ़ने में बहुत होशियार थी उसका चयन सैनिक विद्यालय में हो गया था।
चूँकि सैनिक विद्यालय दूसरे शहर में था इसलिए अब अमारा को छात्रावास में ही रहना था।
जहाँ एक तरफ पायल अपनी बेटी के इस नए सफ़र के लिए उत्साहित थी, वहीं दूसरी तरफ एक अंजाना सा भय उसे परेशान कर रहा था।
यूँ तो अभी कृष्ण-पक्ष की समाप्ति में दो दिन बचे हुए थे और चंद्रमा अपनी बहुत ही हल्की छाया में तारों के साथ धीमी-धीमी रोशनी फैलाते हुए आसमान में चहलकदमी कर रहा था लेकिन फिर भी अपने बिस्तर पर ...Read Moreहुए खिड़की से इस दृश्य को निहार रही पायल अपने हृदय में अमावस्या के घोर अँधकार को महसूस करते हुए बहुत बेचैनी से करवट बदल रही थी। पायल की इकलौती बेटी अमारा जो अभी-अभी दस वर्ष की हुई थी, कल अपने पापा के साथ अपने नए विद्यालय जाने वाली थी। अमारा, जो पढ़ने में बहुत होशियार थी उसका चयन सैनिक
थाना प्रभारी इंस्पेक्टर रंजीत को जब टीटी महोदय ने इस अनोखी गुमशुदगी के विषय में बताया तो एकबारगी उन्हें भी भरोसा नहीं हुआ कि ऐसा कैसे हो सकता है कि चलती ट्रेन से कोई बच्ची अपनी सीट पर बैठे-बैठे ...Read Moreलापता हो जाए, लेकिन टीटी महोदय के लाए हुए बयानों के आधार पर उन्होंने अमारा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर ली और संजीव को आश्वासन दिया कि जिस जगह अमारा गायब हुई थी वहाँ जाकर वो उसे जरूर तलाश करेंगे। संजीव ने हाथ जोड़ते हुए इंस्पेक्टर रंजीत से कहा "सर, मैं भी आपके साथ अपनी बेटी को ढूँढने चलूँगा।"
पायल तेज़ी से दौड़ती हुई संजीव के पास पहुँची। उसका हताश-निराश चेहरा देखकर पायल की घबराहट बढ़ती जा रही थी। उसने टीटी महोदय की तरफ आशंका भरी नजरों से देखते हुए उनसे पूछा "सर, आपने मेरे पति को इस ...Read Moreक्यों पकड़ रखा है? सर ये बहुत सीधे हैं, आपको कोई गलतफहमी हुई होगी। ये कोई अपराध कर ही नहीं सकते हैं मेरा भरोसा कीजिये।" "मैडम मैंने ये कब कहा कि आपके पति ने कोई अपराध किया है? मैंने तो इन्हें इसलिए पकड़ रखा है ताकि दोबारा आवेश में आकर ये कोई गलत कदम ना उठा लें।" टीटी महोदय की
इस रुदन में इतना दर्द, इतनी तड़प थी कि संजीव और पायल का दिल भी दर्द से भर उठा। कार को भूलकर वो दोनों बच्ची की तलाश करने लगे। इस घने जंगल में किसी बच्ची का इस तरह रोना ...Read Moreकिसी अनहोनी का संकेत दे रहा था, लेकिन फिर भी वो बिना घबराए आवाज़ की दिशा में जंगल के अंदर बढ़ते जा रहे थे मानों कोई अदृश्य चुम्बक उन्हें खींच रहा हो। आख़िरकार थोड़ी दूर चलने के बाद ही उन्हें एक घने पेड़ के नीचे लगभग एक साल की रोती हुई बच्ची मिल गई। पायल ने जल्दी से उसे गोद
छह महीने बीत चले थे लेकिन बहुत कोशिशों के बावजूद भी बच्ची के परिवार का कोई पता नहीं लग पाया। ये देखकर आपस में सलाह-मशवरा करके पायल और संजीव ने बच्ची को कानूनन गोद लेने का फैसला किया। जिस ...Read Moreवो सारी औपचारिकताएं पूरी करके घर लौटे उन्हें ख्याल आया कि उनकी बेटी को उनके कुलगुरु का आशीर्वाद दिलवाना चाहिए। अभी वो इस विषय में विचार-विमर्श कर ही रहे थे कि दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। पायल ने उठकर दरवाजा खोला तो सामने अपने कुलगुरु को देखकर हैरान रह गई। उनके चरणस्पर्श करते हुए पायल ने कहा "गुरुजी, हम