Shatranj ki Bisaat book and story is written by शिखा श्रीवास्तव in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Shatranj ki Bisaat is also popular in Thriller in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
शतरंज की बिसात - Novels
by शिखा श्रीवास्तव
in
Hindi Thriller
शहर की नामी पॉश कॉलोनी में यूँ तो सुबह के आगमन की सूचना ब्रांडेड ट्रैक-सूट और महँगे जूते पहनकर कानों में इयरपॉड लगाए जॉगिंग पर जाते हुए स्वयं को भद्र दिखाने की कोशिश करते स्त्री-पुरुषों की मिली-जुली आवाज़ें दिया करती थी, लेकिन आज उनका चहल-पहल रात के सन्नाटे को तोड़ता उससे पहले उस सन्नाटे को चीरती हुई पुलिस जीप के सायरन की आवाज़ कॉलोनी के इस छोर से उस छोर तक गूँज उठी।
सायरन की आवाज़ कानों में पड़ते ही लगभग हर घर के दरवाजे ये देखने के लिए खुल गए की रातोंरात उनके इस सभ्य समाज में ऐसी क्या घटना हो गई कि पुलिस को इतनी सुबह-सुबह आना पड़ा।
दरवाजे की ओट से सहमी हुई आँखों से झाँकते हुए लोगों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब उन्होंने देखा कि पुलिस की गाड़ी उनकी कॉलोनी के सबसे रईस परिवार मिस्टर साहिल गुप्ता के बंगले के आगे जाकर रुक गई।
शहर की नामी पॉश कॉलोनी में यूँ तो सुबह के आगमन की सूचना ब्रांडेड ट्रैक-सूट और महँगे जूते पहनकर कानों में इयरपॉड लगाए जॉगिंग पर जाते हुए स्वयं को भद्र दिखाने की कोशिश करते स्त्री-पुरुषों की मिली-जुली आवाज़ें दिया ...Read Moreथी, लेकिन आज उनका चहल-पहल रात के सन्नाटे को तोड़ता उससे पहले उस सन्नाटे को चीरती हुई पुलिस जीप के सायरन की आवाज़ कॉलोनी के इस छोर से उस छोर तक गूँज उठी। सायरन की आवाज़ कानों में पड़ते ही लगभग हर घर के दरवाजे ये देखने के लिए खुल गए की रातोंरात उनके इस सभ्य समाज में ऐसी क्या
"हम्म फिर क्या हुआ?" "मैंने कई बार कमरे का दरवाजा खटखटाया लेकिन ना दरवाजा खुला और ना किसी तरह की आहट सुनाई दी। फिर मैंने उन दोनों के मोबाइल पर फोन किया लेकिन घँटी बजती रही और कोई जवाब ...Read Moreमिला। तब मैंने घबराकर कमरे का दरवाजा तोड़ा और फिर बिस्तर पर उनकी स्थिति देखकर ही समझ गया कि कुछ अनहोनी हो चुकी है। फिर मैंने पुलिस को ख़बर करना ही ठीक समझा।" "ये बिल्कुल ठीक किया तुमने। अच्छा एक बात बताओ इतने बड़े बँगले में कोई सिक्योरिटी गार्ड नहीं है?" "नहीं साहब। दरअसल हमारे साहब को फिजूलखर्ची से बहुत
विवेक से बात करने के बाद इंस्पेक्टर अजय ने अब कांस्टेबल राखी को फोन लगाया। "मिसेज अनिका की स्थिति अब कैसी है?" "वो खतरे से बाहर है सर लेकिन होश अभी तक नहीं आया है।" "डॉक्टर ने क्या बताया?" ...Read Moreका कहना है कि उनके गले को जोर से दबाने की कोशिश की गई थी जिसकी वजह से उन्हें घुटन हुई और वो बेहोश हो गई। उनके गले पर ऊँगलियों के स्पष्ट निशान हैं सर।" "ओहह। अच्छा हुआ कि संजय ने उनके शरीर से भी ऊँगलियों वगैरह के निशान ले लिए वर्ना तुम्हारी भी नज़र इस निशान पर नहीं गई
काफी देर तक आँखें बंद किये रहने के बाद इंस्पेक्टर अजय अपने केबिन से बाहर आए तो उन्होंने देखा शाम ढ़लने लगी थी। कुछ सोचकर उन्होंने एक बार फिर कांस्टेबल विवेक का नंबर डायल किया। "जय हिंद सर।" "जय ...Read Moreकहाँ हो तुम?" "बस थाने ही आ रहा हूँ सर।" "एक काम करो मिस्टर साहिल के कमरे की जो तस्वीरें तुमने खींची थी उन्हें प्रिंट करवा कर कल सुबह मेरे पास लेकर आओ।" थाने में मौजूद अन्य कांस्टेबल्स को रात की ड्यूटी सौंपकर इंस्पेक्टर अजय अपने घर के लिए निकल गए। अगले दिन सुबह ही सुबह जब वो थाने पहुँचे
फिर उन्होंने अपनी कुर्सी से उठते हुए इंस्पेक्टर रघु से कहा "मैं संजय के साथ मिस्टर साहिल के बंगले पर जा रहा हूँ। तुम मिस्टर साहिल के दफ्तर जाकर निशा के बारे में पूछताछ करो और दफ़्तर के फोन ...Read Moreरिकार्ड्स भी निकलवा लो और हाँ किसी साइबर एक्सपर्ट की मदद से मिस्टर साहिल के ईमेल्स और सोशल मीडिया एकाउंट भी खंगालो। कहीं ना कहीं तो निशा ने उनसे संपर्क किया ही होगा।" "ठीक है सर। मैं अभी जाता हूँ। जय हिंद।" "जय हिंद।" जब तक इंस्पेक्टर अजय साहिल के बंगले पर पहुँचे तब तक संजय भी जानवरों के डॉक्टर