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कोठेवाली - Novels
by Pandit Devanand Sharma
in
Hindi Love Stories
मीतू अपनी धुन में सड़क के किनारे जल्दी जल्दी आगे बढ़ी जा रही थी , आंखो पर गहरा काला चस्मा चमकदार नीली शर्ट के साथ टाइट काली जींस पहने मीतू देखने में कोई स्कूल या कालेज की लड़की लग रही थी, भरे बदन की मीतू को देख कर आसपास वाले कुछ बुदबुदा रहे थे पर दुनिया से बेखबर मीतू अपनी धुन में ही चले जा रही थी, तभी फोन की घंटी बजी और मीतू का ध्यान अपने फोन पर गया सुक्खी माई लिखा देख के मीतू का चेहरा अजीब सा हो गया फोन उठाते ही उधर से कड़क सी आवाज आई ...क्या री हरामजदी अभी तू बाबू साहब के बंगले नही पहुंची कित्ती बार फोन कर चुके है कही और मुंह मारने लगी होगी साली तेरे नखरे बहुत बढ़ गए है आ आज तेरा इलाज करती हूं, मीतू का हलक सूख गया कांपती आवाज़ से बोली नही माई जाम बहुत था बस बंगले के पास पहुंच गई हूं बाबू साहब से बोलो 5 मिनट में आ गई मीतू, तू फोन रख बस मैं पहुंच गई सुक्खी माई ने एक भद्दी सी गाली देते हुए फ़ोन काट दिया, मीतू अब और तेज कदमों से बढ़ी जा रही थी
मीतू अपनी धुन में सड़क के किनारे जल्दी जल्दी आगे बढ़ी जा रही थी , आंखो पर गहरा काला चस्मा चमकदार नीली शर्ट के साथ टाइट काली जींस पहने मीतू देखने में कोई स्कूल या कालेज की लड़की लग ...Read Moreथी, भरे बदन की मीतू को देख कर आसपास वाले कुछ बुदबुदा रहे थे पर दुनिया से बेखबर मीतू अपनी धुन में ही चले जा रही थी, तभी फोन की घंटी बजी और मीतू का ध्यान अपने फोन पर गया सुक्खी माई लिखा देख के मीतू का चेहरा अजीब सा हो गया फोन उठाते ही उधर से कड़क सी आवाज