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मेरे हमदम मेरे दोस्त by Kripa Dhaani in Hindi Novels
नीरा बरामदे में आराम कुर्सी पर बैठी बारिश की झिलमिलाती बूंदों को टकटकी लगाये देख रही थी। हाथ में चाय का प्याला था, जिसकी...
मेरे हमदम मेरे दोस्त by Kripa Dhaani in Hindi Novels
वह बारिश से भीगा दिन था। सोलह बरस का विवान स्कूल छूटने के बाद साइकिल चलाता हुआ गिटार क्लास जा रहा था। रास्ते में उसकी नज़...
मेरे हमदम मेरे दोस्त by Kripa Dhaani in Hindi Novels
दो साल गुजर गये। नीरा कॉलेज में आ गई। उस दिन कॉलेज के मेन गेट से बाहर निकलती नीरा ने आसमान की ओर नज़र उठाकर श्वेता से कहा...
मेरे हमदम मेरे दोस्त by Kripa Dhaani in Hindi Novels
तीन बरस बाद वो भी जश्न का ही दिन था। नीरा की शादी के जश्न का दिन। दुल्हन के लिबास में सजी वो बेहद ख़ूबसूरत नज़र आ रही थी।...
मेरे हमदम मेरे दोस्त by Kripa Dhaani in Hindi Novels
मायरा की आवाज़ नीरा को यादों के भंवर से बाहर खींच लाई, “मम्मी भूख लगी है।” “क्या खाओगी?” पूछते हुए नीरा कुर्सी से उठी। “म...