Pyaar Huaa Chupke Se book and story is written by Kavita Verma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pyaar Huaa Chupke Se is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
प्यार हुआ चुपके से - Novels
by Kavita Verma
in
Hindi Fiction Stories
जबलपुर शहर की तूफानी अंधेरी रात में, एक लड़की खुद को बचाने के लिए हाथ में चाकू लिए बेतहाशा भागे जा रही थी क्योंकि कुछ लोग हाथों में बंदूक लिए उसका पीछा कर रहे थे। तेज़ बारिश में भागते-भागते वो बहुत थक चुकी थी। उसने खुद को संभाल ने के लिऐ एक पेड़ को पकड़ा और बुरी तरह हांपने लगी। तभी उसे जूतों की तेज आवाजे सुनाई दी। उसकी आंखें बड़ी-बड़ी हो गई और वो अपनी साड़ी जो कीचड़ में लथपथ हो चुकी थी, को पकड़े फिर से भागने लगी। भागते-भागते वो भेढ़ा घाट की पहाड़ी पर आ पहुंची। जहां नर्मदा नदी का पानी पूरे उफान पर था। उस उफनती नदी को देखकर उसके कदम रुक गए और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। वो रोते हुए ज़ोर से चीखी- शिव, कहां है आप?
जबलपुर शहर की तूफानी अंधेरी रात में, एक लड़की खुद को बचाने के लिए हाथ में चाकू लिए बेतहाशा भागे जा रही थी क्योंकि कुछ लोग हाथों में बंदूक लिए उसका पीछा कर रहे थे। तेज़ बारिश में भागते-भागते ...Read Moreबहुत थक चुकी थी। उसने खुद को संभाल ने के लिऐ एक पेड़ को पकड़ा और बुरी तरह हांपने लगी। तभी उसे जूतों की तेज आवाजे सुनाई दी। उसकी आंखें बड़ी-बड़ी हो गई और वो अपनी साड़ी जो कीचड़ में लथपथ हो चुकी थी, को पकड़े फिर से भागने लगी। भागते-भागते वो भेढ़ा घाट की पहाड़ी पर आ पहुंची। जहां
रति ने रिसीवर नीचे रखा और अपनी आंखें बन्द की तो उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। उसने खुद को संभाला और अपनी आँखें खोलकर बोली- नहीं रति, तू ऐसे हिम्मत नहीं हार सकती। तुझे तब तक खुद को ...Read Moreहोगा, जब तक तेरे शिव तुझे संभालने के लिए लौट नहीं आते। दुनिया चाहे जो भी कहे पर तेरा दिल जानता है कि शिव जहां भी है, बिल्कुल ठीक है और तेरे पास लौटकर ज़रुर आऐंगे। उन्हें आना होगा क्योकिं उनकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी खुशी तेरे साथ है। उस खुशी के लिए उन्हें लौट कर आना ही होगा। रति
रति ने दीवार पर लगी कील पर टंगा अपना बैग उठाया और रसोई घर में सिगड़ी पर रोटियां बना रही लक्ष्मी के पास आकर बोली- अम्मा मैं ऑफिस जा रही हूं। बाबा ने मुझे अजय बाबू के ऑफिस का ...Read Moreसमझा दिया है। मैं चलती हूं। "रुक बिटिया"- लक्ष्मी ने इतना कह कर जल्दी से रोटी और सब्जी एक डब्बे में रखी और रति के पास आकर बोली- बिटिया ये वक्त पर खा लेना। तेरी तबियत ठीक नहीं रहती है। ऐसे में तुझे वक्त पर खाना खाना चाहिए। काजल ने उनकी ओर देखकर मुस्कुराने की कोशिश की और बोली- अम्मा,
मुखियाजी अपने कुछ लोगों के साथ जंगल से निकलकर पास ही के गांव की पुलिस चौकी पहुंचे। वहां पहुंचते ही वो थानेदार के पास आकर बोले- राम-राम दरोगा बाबू....... "अरे मुखियाजी,आज आप अपने जंगल से बाहर कैसे आ गए? ...Read Moreठीक तो है ना? कहीं कोई बाघ किसी को फिर से उठाकर तो नहीं ले गया?"- थानेदार ने पूछा। मुखियाजी हाथ जोड़कर बोले- सब ठीक है दरोगा बाबू...बस आपसे कछु बात करना हति हमें, "हां जरुर, बैठिए"- दरोगा ने कुर्सी की ओर इशारा करके कहा तो मुखियाजी बैठते हुए बोले- दरोगा बाबू मैं कल ही आपके पास आवे वालो हतो
रति ने एक बार फिर अपने पैर में लगे टुकड़े को निकालने की कोशिश की पर जैसे ही उसने उस टुकड़े को निकालना चाहा तो लड़खड़ाकर गिरने लगी पर तभी शिव ने आकर उसे अपनी बांहों में थाम लिया। ...Read Moreने नज़रे उठाकर उसकी ओर देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। उसने आहिस्ता से अपनी हथेली को शिव के चेहरे की ओर बढ़ाया और बहुत प्यार से उसके गाल को छुआ तो शिव गुस्से में बोला- मै तुमसे बहुत नाराज़ हूं रति...अगर मै दो पल के लिए भी तुम्हें अकेला छोड़ दूं तो तुम खुद को किसी ना