Amanush book and story is written by Saroj Verma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Amanush is also popular in Detective stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - Novels
by Saroj Verma
in
Hindi Detective stories
एक बड़ी सी कार पुलिस स्टेशन के सामने रुकी और ड्राइवर ने उतरकर अपने मालिक के लिए कार का दरवाजा खोला,सूट बूट पहने हुए कार का मालिक पुलिस स्टेशन के भीतर पहुँचा,जैसे ही वो पुलिस स्टेशन के भीतर घुसा तो इन्सपेक्टर धरमवीर सिंह बोले...
"आप आ गए मिस्टर सिंघानिया!,हम सब आपका ही इन्तज़ार कर रहे थे"
"माँफ कीजिएगा! मेरी फ्लाइट जरा डिले हो गई थी,जैसे ही एयरपोर्ट पर फ्लाइट पहुँची तो मैं सीधा यहाँ चला आया",मिस्टर सिंघानिया बोले....
"जी! मुझे पता है कि आप काम के सिलसिले में लन्दन गए हुए थे,इसमें माँफी माँगने वाली कोई बात नहीं है",इन्सपेक्टर धरमवीर सिंह बोले...
"जी! क्या आपने कातिल का पता लगा लिया",मिस्टर दिव्यजीत सिंघानिया ने पूछा...
"हाँ! हमें लगता है कि वही आपकी पत्नी का कातिल है",इन्सपेक्टर धरमवीर सिंह बोले...
एक बड़ी सी कार पुलिस स्टेशन के सामने रुकी और ड्राइवर ने उतरकर अपने मालिक के लिए कार का दरवाजा खोला,सूट बूट पहने हुए कार का मालिक पुलिस स्टेशन के भीतर पहुँचा,जैसे ही वो पुलिस स्टेशन के भीतर घुसा ...Read Moreइन्सपेक्टर धरमवीर सिंह बोले... "आप आ गए मिस्टर सिंघानिया!,हम सब आपका ही इन्तज़ार कर रहे थे" "माँफ कीजिएगा! मेरी फ्लाइट जरा डिले हो गई थी,जैसे ही एयरपोर्ट पर फ्लाइट पहुँची तो मैं सीधा यहाँ चला आया",मिस्टर सिंघानिया बोले.... "जी! मुझे पता है कि आप काम के सिलसिले में लन्दन गए हुए थे,इसमें माँफी माँगने वाली कोई बात नहीं है",इन्सपेक्टर धरमवीर
उधर दिव्यजीत सिंघानिया घर पहुँचे तो उनकी माँ शैलजा सिंघानिया ने उनसे पूछा... "आ गए बेटा! क्या हुआ था पुलिस स्टेशन में,क्या देविका का कातिल पकड़ा गया?" "नहीं! माँ! वो देविका का कातिल नहीं था,वो तो रघुवीर था जो ...Read Moreयहाँ काम किया करता था",दिव्यजीत सिंघानिया बोले... "तो पुलिस ने उसे किस शक़ पर पकड़ा",शैलजा ने पूछा... "जी! उसके पास देविका का लाँकेट मिला था, जिसमें उसकी और मेरी तस्वीर थी",दिव्यजीत सिंघानिया बोले.... "वो उसके पास कहाँ से आया",शैलजा ने पूछा.... "चुरा लिया होगा उसने",दिव्यजीत ने झूठ बोलते हुए कहा.... "तो तुमने पुलिस से क्या कहा रघुवीर के बारें में",शैलजा
तब करन ने सतरूपा से कहा... "अगर हम दोनों बात करने के लिए कहीं बाहर चले तो ज्यादा ठीक रहेगा", "क्यों सेठ! काम के बहाने कहीं चाँस तो नहीं मार रहा है तू,मैं खूब समझती है तुम जैसे मर्दो ...Read Moreचाल,पहले बाहर ले जाकर घुमाते हो,खिलाते पिलाते हो,शाँपिंग कराते हो और फिर इसके बाद तुम लोग अपनी औकात पर उतर आते हो"सतरुपा बोली... "तुम मुझे गलत समझ रही हो सतरूपा! मैं बिलकुल भी ऐसा नहीं हूँ",डिटेक्टिव करन थापर बोला... "सारे मर्द पहले ऐसा ही कहते हैं",सतरुपा बोली.... "मैं एक जासूस हूँ और एक केस के सिलसिले में मुझे तुमसे बात
करन थापर सतरुपा के बताए हुए पते पर पहुँच गया,उसने वहाँ जाकर देखा कि वो बस्ती बहुत ही गन्दी थी,सँकरी सँकरी गलियाँ,यहाँ वहाँ बहती नालियाँ और गाली गलौच करते लोग,सतरुपा की खोली को जाने वाली गली भी बहुत ही ...Read Moreथी,इसलिए उसने अपनी कार वहीं खड़ी करने में ही समझदारी समझी,फिर वो अपनी कार वहीं खड़ी करके सतरुपा की खोली की ओर बढ़ गया,उसने सतरुपा की खोली के सामने पहुँचकर दरवाजे पर दस्तक दी तो भीतर से आवाज़ आई.... "आती है....अभी आती है मैं" फिर सतरुपा ने दरवाजा खोला,करन ने उसका हुलिया देखा तो वो उसे देखता ही रह गया
करन सतरूपा को लेकर इन्सपेक्टर धरमवीर के घर के सामने पहुँचा और फिर दोनों कार से उतरकर घर के दरवाजे के सामने गए,तब सतरुपा ने धरमवीर के घर की नेमप्लेट पढ़ी और वो करन से बोली... "सेठ! ये तो ...Read Moreपुलिसवाले का घर लगता है", "तुम्हें कैंसे पता चला कि ये किसी पुलिसवाले का घर है",करन ने पूछा... "माना कि मेरे पास बड़ी बड़ी डिग्रियाँ नहीं हैं,लेकिन थोड़ा बहुत पढ़ी लिखी है मैं,इतना तो पढ़ ही सकती है, तभी तो फोन चला पाती है",सतरुपा बोली... सतरुपा की बात सुनकर करन मुस्कराकर बोला..... "चलो ये तो और भी अच्छा रहा कि