Aehivaat book and story is written by नंदलाल मणि त्रिपाठी in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aehivaat is also popular in Women Focused in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
एहिवात - Novels
by नंदलाल मणि त्रिपाठी
in
Hindi Women Focused
जीवन बड़ा कठिन है एक एक सांस के लिए संघर्ष कभी जंगली जानवरों का भय कभी मौसम कि मार कभी कुदरत का कहर कभी भूख भय पल प्रहर हांफती कांपती जिंदगी माई तू तो कहती है कि अपने कबीले के देवता बड़े दयावान है जीवन एव वन की खुशहाली और हिफाज़त के लिए आशीर्वाद देते है यह कैसे भगवान है कैसा इनका आशीर्वाद है ?
भक्तों पर की भक्त जिंदगी के लिए ही लड़ता है वह भी जानवरो कि तरह कुदरत ने हर जानवर को जीने के लिए कोई न कोई हुनर दे रखा है जिससे वह अपनी हिफाज़त करता है हम इंसानों के लिए कहने के लिए उसने सब कुछ दिया है फिर भी हम जनवरों से बदतर है ।
बेटी सौभाग्य कि बातों को लगभग प्रतिदिन माई तीखा और बापू जुझारू सुनते और उसे समझाने की कोशिश करते बिटिया हम लोग की जिंदगी वन में शुरू होती है वन में ही समाप्त हो जाती है हम लोगो को वन देवता और वन देवी ने सिर्फ संघर्ष के लिए ही सक्षम बनाया है जिससे कि हम लोग अपनी धड़कन साँसों को जारी रख सके लेकिन बिटिया सौभाग्य कभी भी माई बापू की बातों से सहमत नही होती वह सदैव यही कहती बापू वन जीवन से भी कभी बाहर निकल कर देखो शायद कोई नई किरण जीवन को मिल जाय ।
जीवन बड़ा कठिन है एक एक सांस के लिए संघर्ष कभी जंगली जानवरों का भय कभी मौसम कि मार कभी कुदरत का कहर कभी भूख भय पल प्रहर हांफती कांपती जिंदगी माई तू तो कहती है कि अपने कबीले ...Read Moreदेवता बड़े दयावान है जीवन एव वन की खुशहाली और हिफाज़त के लिए आशीर्वाद देते है यह कैसे भगवान है कैसा इनका आशीर्वाद है ?
भक्तों पर की भक्त जिंदगी के लिए ही लड़ता है वह भी जानवरो कि तरह कुदरत ने हर जानवर को जीने के लिए कोई न कोई हुनर दे रखा है जिससे वह अपनी हिफाज़त करता है हम इंसानों के लिए कहने के लिए उसने सब कुछ दिया है फिर भी हम जनवरों से बदतर है ।
उधर पूरी रात तीखा आदिवासी कुनबों के पास जाकर बिटिया सौभाग्य एव पति जुझारू का पता लगाने कि गुहार करती रही कुनबे के आदिवासी नौवजावन लुकार लेकर तैयार ही हुए की बारिश शुरू हो गयी उधर सौभाग्य ने कहा ...Read Moreलगत है तुमहू कही गिर पड़े रहो तुम्हरे कनपटी के ऊपर घाव के निशान बा जुझारू ने कहा हा बिटिया तुम अचेत पड़ी रहूं तोहे होश में लावे खातिर सोता से पानी लावे जात रहिन पता नही कैसे ठोकर लग गवा गदका पड़ गवा कि हम गिर गईनी पता नाही चलल जब बरसात भईल तब हमें होश आइल और हम
आदिवासी नौजवानों एव जंगा के अथक प्रयास से विल्सन स्वस्थ होने लगा वह आदिवासी भाषा नही समझ पा रहा था टूटी फूटी हिंदी बोल पा रहा था लेकिन वह भोले भाले आदिवासियों कि भावनाओं प्यार सेवा को अंतर्मन कि ...Read Moreसे समझ रहा था ।दुख था तो अपनी संवेदनाओ कि अभिव्यक्ति न हो पाने का उसे पता था कि हिंदुस्तान में हाथ जोड़ कर किसी को सम्मान दिया जाता है और पैर छूकर बुजुर्ग बड़ो का और गले लगा कर बराबरी वालो का वह यही करता आदि वासी समाज का भोजन था बड़े चाव से खाता तीखा जुझारू सौभाग्य बड़े
विल्सन के लौटने के बाद सबसे अधिक सौभाग्य पर प्रभाव पड़ा उसके व्यवहार में बहुत परिवर्तन हो चुका था वह पहले कि अपेक्षा गम्भीर रहने लगी और माई तीखा बापू जुझारू को बहुत नही परेशान करती ।अपनी नित्य जिम्मेदारियों ...Read Moreबिना कहे पूरा करती लकड़ी के लिए वन प्रदेशो में जाने के लिए पहले माई तीख कितनी बार निहोरा करती तब वह निकलती विल्सन के जाने के बाद वह अपने आप चली जाती उसकी नादानियां शरारते चुलबुलापन जाने कहा गायब हो चुके थे। वह कभी कभी माई तीखा से अवश्य प्रश्न पूछती माई का लोग ऐसे ही जाए खातिर आवत
माई तीखा ने बेटी सौभाग्य के मन में करुणा भाव को महसूस कर बहुत गर्व से बोली शाबाश बेटी केहू के दुःख पीढ़ा कि खातिर कूछो कर सको तो जरूर करो ऐसे अपने बन देवता प्रसन्न होहिए और बरक्कत ...Read More।सौभाग्य माई तीखा कि बाते सुनकर बोली माई तोरे सिखावल है जेके कारण शेर के बच्चा के ले आए ई जानत है माई कि ई जब बलवान होई तब कबों घात कर देई ई ठहरल जंगल के राजा लेकिन ई समय एकर हालत बहुत खराब बा एके जीआवे के बा सौभाग्य ने शेर के बच्चे को जो सिर्फ सांस ही