Satya Itihaas book and story is written by Ritin Pundir in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Satya Itihaas is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सत्य इतिहास - Novels
by Ritin Pundir
in
Hindi Short Stories
कई वर्षों से देश मे एक नैरेटिव सेट कर दिया गया कि, की राणा पूंजा एक भील थे. जो सभी ने आसानी से मान लिया .
जबकिं राणा पूंजा ,भीलों की सेना प्रतिनिधित्व करते थे, भीलों के राणा थे, ना कि भील.
राणा पूंजा सोलंकी मेवाड़ के एक ठिकाने पानरवा जमींदारी के ठिकानेदार थे, ये जमींदारी सोलंकी राजपूतों की पुस्तैनी जागीर है,जिनके आस पास आदिवासी क्षेत्र है, जंहा भीलों की संख्या की बहुतायत थी, और इनकी सेना में ज्यादातर सैनिक भील थे...इसलिए इन्हें भीलों का राणा कहा जाने लगा...और बाद में यही नाम भीलू राणा पूंजा बन गया जिससे लोग राणा पूंजा को भील समझने लगे....
मैंने 2 पोस्ट डाली थी राणा पुंजा जी के क्षत्रिय होने का लेकिन असली रक्त ही अपने रक्त को ही पहचान पाए । कहने का अर्थ ये की क्षत्रियों ने तो विश्वास किया पर कुछ विशेषों ने प्रश्न उठाया ।
तो इसे साबित करने का एक ही उपाय है "इतिहास खोलकर दिखाना"
मैं "राणा पुंजा जी" को क्षत्रिय साबित आसानी से कर सकता हूँ क्योंकि मैं उन्हें बहुत करीब से जानता हूँ और क्योंकि मैं भी भोजवत सोलंकी ही हूँ इसलिये ।
कई वर्षों से देश मे एक नैरेटिव सेट कर दिया गया कि, की राणा पूंजा एक भील थे. जो सभी ने आसानी से मान लिया . जबकिं राणा पूंजा ,भीलों की सेना प्रतिनिधित्व करते थे, भीलों के राणा थे, ...Read Moreकि भील.राणा पूंजा सोलंकी मेवाड़ के एक ठिकाने पानरवा जमींदारी के ठिकानेदार थे, ये जमींदारी सोलंकी राजपूतों की पुस्तैनी जागीर है,जिनके आस पास आदिवासी क्षेत्र है, जंहा भीलों की संख्या की बहुतायत थी, और इनकी सेना में ज्यादातर सैनिक भील थे...इसलिए इन्हें भीलों का राणा कहा जाने लगा...और बाद में यही नाम भीलू राणा पूंजा बन गया जिससे लोग राणा