Chirag ka Zahar book and story is written by Ibne Safi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Chirag ka Zahar is also popular in Detective stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
चिराग का ज़हर - Novels
by Ibne Safi
in
Hindi Detective stories
"चिराग का जहर" की कहानी भी सनसनी, जासूसी और दिलचस्पी से इतनी परिपूर्ण है कि आरम्भ करने के बिना समाप्त किये छोड़ने को मन नहीं चानता । नीलम हाउस का वातावरण उसमें होने वाली हत्यायें – गुड़िया का कौतुक तथा नीलम हाउस के स्वामी का रहस्य पूर्ण व्यक्तित्व - यह सब बातें तो अपने स्थान पर हैं- चाचा आसिफ और कासिम की मौजूदगी ने इस कहानी की दिलचस्पी को काफी बढ़ा दिया है । पात्रों में रोमा—तुरा- फिरोजा - शापूर और पंकज तथा रहस्य पूर्ण शिकारी उल्लेखनीय हैं। विशेष रूप से नूरा वो भुलाई नहीं जा सकती ।
इब्ने सफ़ी (1) और अब उस इमारत में कोई नहीं रहता था । केवल एक लड़की विस्तृत कम्पाउन्ड के अन्दर बने हुये सर्वेन्ट क्वार्टर में अकेली रहती थी। भूत ग्रस्त इमारतों के बारे में हजारों कहानियां पढ़ी गई थीं- ...Read Moreगई थीं। एक ही जैसी कहानियां हर भूत ग्रस्त इमारतों के बारे में सुनने में आई थीं, मगर इस इमारत नीलम हाउस की कहानी सबसे भिन्न थी— इसलिये कि यह इमारत नीलम हाउस जो अब बिल्कुल उजाड़ थी केवल दो ही महीने पहले इतनी आबाद और हंगामों से परिपूर्ण थी कि पूरे नगर में इसी का वर्णन होता रहता था
(2) पिछले दस बारह दिनों से प्रतिदिन आसिफ नीलम हाउस पहुँच जाता था। दिन वहीं व्यतीत करता और सन्ध्या होते ही सिपाहियों का पहरा लगा कर भाग आता । सिपाही या तो कम्पाउन्ड में टहलते रहते या नूरा के ...Read Moreके सामने बरामदे में पड़े रहते और सवेरे जब आसिफ आया तो 'सब ठीक है श्रीमान जी' की रिपोर्ट दे देते । कभी उन्होंने इमारत के अन्दर जाने का साहस नहीं किया था । इसी प्रकार जब प्रन्द्रह दिनों तक यही रिपोर्ट मिलती रही कि 'सब ठीक है श्री मान जी' तो मासिक का साहस बढ़ने लगा । विभाग के
(3) "जो दिल में आये वह कहो और समझो―" आसिफ ने कहा "मगर सच्ची बात यही है कि मामिला कुछ भी नहीं है— केवल बात का ब़तंगड़ बनाया गया है।" "हाथ कंगन को आर्सी क्या है चाचा" सुरेश ने ...Read More"अभी सात बजे हैं। चार पाँच घन्टे के बाद सब कुछ सामने आ जायेगा -" इसके बाद सब लोग वहां से हट गये। रात ठराडी थी और आकाश पर प्रारम्भिक दिनों के चन्द्रमा की किरने कांपती हुई सिमिट रही थीं। अमर सिंह इत्यादि ने आज की रात को एक प्रकार से पिकनिक की रात बना लेने का निश्चय कर लिया
(4) "श्री मान जी !" युवक ने दयनीय स्वर में कहा "केवल इतनी सी अभिलाषा है कि आप अपनी कार में मुझे स्थान दे दें―" "क्यों स्थान दे दूँ – यह मेरी अपनी गाड़ी है—टेक्सी नहीं है- समझे - ...Read Moreमरो―" हमीद ने कहा और उसे खींचता हुआ गाड़ी तक लाया-- फिर दरवाजा खोल कर उसे अगली ही सीट पर ढकेल दिया और खुद दूसरी ओर के दरवाजे से अन्दर दाखिल होकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और गाड़ी स्टार्ट कर दी। साथ ही साथ वह बड़बड़ाता भी जा रहा था। " जिसे देखिये उस पर आजकल नैतिक्ता का भूत
(5) हमीद ने फिर कुछ नहीं कहा। वह विन्ड स्क्रीन की ओर देखने लगा। काफी दूर एक मोटेल की रोशनी दिखाई दे रही थी। "यदि आप आज्ञा दे तो मैं अपनी एक इच्छा प्रकट करू?" पंकज ने कहा । ...Read Moreहै।" "वह सामने जो प्रकाश दिखाई दे रहा है वह एक मोटेल का है- अगर आप वहीं गाड़ी रोक कर मुझे कुछ खिला पिला दें तो मैं प्रथम आप से वादा...." "कुछ खाने पीने के लिये इतनी बड़ी भूमिका बाँधने की क्या आवश्यकता थी सीधे तौर पर भी यह बात कही जा सकती थी- " हमीद ने बात काट कर