Jahan Chah Ho Raah Mil Hi Jaati Hai book and story is written by Ratna Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Jahan Chah Ho Raah Mil Hi Jaati Hai is also popular in Women Focused in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
जहाँ चाह हो राह मिल ही जाती है - Novels
by Ratna Pandey
in
Hindi Women Focused
सेठ हीरा लाल अपनी पत्नी गायत्री के साथ रोज़ की ही तरह आज भी प्रातः काल सैर पर निकले थे। बारिश के दिन थे, बहुत ही खूबसूरत मौसम, ठंडी पवन, शरीर और मन को लुभा रही थी। प्रातः के लगभग पांच बजे का समय था। पति पत्नी काफ़ी लंबी दूरी तय करते थे। उन्हें सुबह की ठंडी हवा और प्रदूषण मुक्त वातावरण में सैर करना बहुत पसंद था। किंतु उस दिन कुछ अनहोनी होने वाली थी, शायद इसीलिए हीरा व गायत्री के घर से काफ़ी दूर निकलने पर मौसम का मिज़ाज एकदम बदल गया। मंद पवन के झोंके, आंधी में तब्दील हो गए, अनायास ही भारी वर्षा का आगमन हो गया, बिजली भी चमक रही थी।
तभी गायत्री ने हीरा लाल से कहा, "सुनो जी मौसम तो काफ़ी ख़राब हो रहा है चलो जल्दी से घर की तरफ़ लौट चलते हैं।"
हीरा लाल ने भी स्वीकृति में हाँ कहा और दोनों ने घर की तरफ़ मुड़ने का रुख किया। हीरा लाल का घर वहाँ से काफ़ी दूर था, अतः वह सोच रहे थे कि यदि कोई रिक्शा या टैक्सी मिल जाए तो उचित होगा। किंतु सुनसान सड़क पर उन दोनों के अतिरिक्त कोई भी नहीं था। चलते-चलते गायत्री की साड़ी का पल्लू एक झाड़ी में अटक गया। वह अपनी साड़ी का पल्लू निकालने के लिए जैसे ही नीचे झुकी, उसे किसी के रोने की धीमी-सी आवाज़ महसूस हुई। किंतु मौसम की वज़ह से वह आवाज़ स्पष्ट नहीं थी।
सेठ हीरा लाल अपनी पत्नी गायत्री के साथ रोज़ की ही तरह आज भी प्रातः काल सैर पर निकले थे। बारिश के दिन थे, बहुत ही खूबसूरत मौसम, ठंडी पवन, शरीर और मन को लुभा रही थी। प्रातः के ...Read Moreपांच बजे का समय था। पति पत्नी काफ़ी लंबी दूरी तय करते थे। उन्हें सुबह की ठंडी हवा और प्रदूषण मुक्त वातावरण में सैर करना बहुत पसंद था। किंतु उस दिन कुछ अनहोनी होने वाली थी, शायद इसीलिए हीरा व गायत्री के घर से काफ़ी दूर निकलने पर मौसम का मिज़ाज एकदम बदल गया। मंद पवन के झोंके, आंधी में
भले ही उस नवजात शिशु के साथ गायत्री और हीरा लाल जी का कोई सम्बंध नहीं था परन्तु झाड़ियों में पड़े हुए उस शिशु को बचाने के लिए भगवान ने उन्हें चुना था। वह दोनों बाहर खड़े बेसब्री से ...Read Moreका इंतज़ार कर रहे थे। कुछ देर में डॉक्टर ने बाहर आकर बताया कि बच्ची का बचना मुश्किल है। गायत्री रोते-रोते डॉक्टर से उसे बचाने की मिन्नतें करने लगी। डॉक्टर ने उन्हें दिलासा दी और कहा हम पूरी कोशिश करेंगे, किंतु कम से कम 24 घंटे बच्ची को डॉक्टरों की निगरानी में रखना होगा। यदि इतना समय निकल गया तो
पिंकी के मुँह से यह सुनकर कि तुम जल्दी से अपने घर भाग जाओ, विजया हैरान रह गई। उसने पूछा, “क्यों दीदी?” “कोई सवाल मत करो विजया मैं जैसा कह रही हूँ वैसा करो।” विजया घर की तरफ़ जाए ...Read Moreतक शक्ति सिंह वहाँ आ गया, विजया को देखकर बुदबुदाया, “अरे कितनी प्यारी बच्ची है।” "बेटा तुम्हारा नाम क्या है?" उसका हाथ पकड़ते हुए वह बोला विजया चिढ़ कर अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी। तब शक्ति सिंह ने उससे कहा, "बेटा डरो मत, मैं तुम्हारा नाम पूछ रहा हूँ, बता दो, फिर मैं तुम्हें जाने दूंगा।" तभी अचानक
शक्ति सिंह से मिल कर घर वापस आने के बाद हीरा लाल बहुत बेचैन थे, अपनी पत्नी को उन्होंने सारी परिस्थिति से अवगत कराया और विजया का अधिक ख़्याल रखने की सलाह दी। गायत्री भी बेहद डर गई थी, ...Read Moreअब विजया की तरफ़ और अधिक ध्यान देना शुरु कर दिया। विजया को उस पुरानी इमारत में जाने से भी मना किया। नादान विजया बार-बार प्रश्न करती रहती, "वहाँ क्या है मम्मा, वहाँ क्यों नहीं जाना चाहिए? वहाँ तो बहुत सारी दीदी और आंटी रहती हैं। एक दीदी तो मेरी दोस्त भी बन गई है और मुझे रोज़ बुलाती है।"
हीरा लाल जिस तरह से सभी के लिए कुछ ना कुछ करते ही रहते थे इसलिए शक्ति सिंह की बेटी नीलू ने तुरंत ही उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए कहा, "अरे बिल्कुल अंकल, कहिए ना क्या काम है ...Read Moreमैं तो आपको नाम से जानती हूँ, मेरी सभी सहेलियाँ भी आपको अच्छी तरह पहचानती हैं और सब आपकी बेहद इज़्जत करती हैं।" "बेटा तुम्हारा नाम क्या है?" "नीलू नाम है अंकल मेरा।" "बेटा मुझे जो काम है, उसके लिए तुम्हें मेरे साथ बाहर चलना होगा। बेटा नीलू, वह काम ऐसा है जो तुम्हारे सिवा और कोई नहीं कर सकता।"