Shrimad Bhagwat Geeta Meri Samaj me book and story is written by Ashish Kumar Trivedi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Shrimad Bhagwat Geeta Meri Samaj me is also popular in Spiritual Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
श्रीमद्भगवद्गीता मेरी समझ में - Novels
by Ashish Kumar Trivedi
in
Hindi Spiritual Stories
जब हिंदू धर्मग्रंथों की बात होती है तब श्रीमद्भगवद्गीता का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता को सारे उपनिषदों का निचोड़ माना जाता है। कहते हैं कि यदि उपनिषद गाय हैं तो श्रीमद्भगवद्गीता उनका दूध है। इसलिए श्रीमद्भगवद्गीता को गीतोपनिषद भी कहते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों में गीत प्रमुख स्थान रखती है।
श्रीमद्भगवद्गीता व्यासदेव जी द्वारा रचित महाभारत ग्रंथ के छठे खंड के भीष्मपर्व का एक अंश है। महाभारत का युद्ध आरंभ होने से पहले जब अर्जुन ने मोहग्रस्त होकर युद्ध से पीछे हटने की बात कही, तब उसके रथ के सारथी भगवान श्रीकृष्ण ने उसे गीता का उपदेश देकर सही मार्ग दिखाया। श्रीमद्भगवद्गीता में कुल 18 अध्याय हैं। कुल 700 श्लोक हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार परम सत्य को जानने के तीन मार्ग हैं
•कर्म मार्ग
इसके अनुसार व्यक्ति अपना नियत कर्म करके परम सत्य को जान सकता हैं।
•भक्ति मार्ग
अपने आप को ईश्वर को समर्पित कर परम सत्य की अनुभूति की जा सकती है।
•ज्ञान मार्ग
हम ज्ञान द्वारा भी परम सत्य को जान सकते हैं।
प्रस्तावनाजब हिंदू धर्मग्रंथों की बात होती है तब श्रीमद्भगवद्गीता का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता को सारे उपनिषदों का निचोड़ माना जाता है। कहते हैं कि यदि उपनिषद गाय हैं तो श्रीमद्भगवद्गीता उनका दूध है। इसलिए श्रीमद्भगवद्गीता ...Read Moreगीतोपनिषद भी कहते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों में गीत प्रमुख स्थान रखती है। श्रीमद्भगवद्गीता व्यासदेव जी द्वारा रचित महाभारत ग्रंथ के छठे खंड के भीष्मपर्व का एक अंश है। महाभारत का युद्ध आरंभ होने से पहले जब अर्जुन ने मोहग्रस्त होकर युद्ध से पीछे हटने की बात कही, तब उसके रथ के सारथी भगवान श्रीकृष्ण ने उसे गीता का उपदेश देकर
अध्याय 1 सैन्यदर्शनइस अध्याय के आरंभ में धृतराष्ट्र संजय से युद्धक्षेत्र की गतिविधियों के बारे में प्रश्न करते हैं। वह पूछते हैं कि कुरुक्षेत्र में मेरे और पांडु के पुत्र, जो युद्ध के लिए एकत्रित हुए हैं क्या कर ...Read Moreहैं ? उनके प्रश्न के उत्तर में संजय कहते हैं कि हे राजन युद्धभूमि में पांडवों के पक्ष का सैन्यविन्यास देखने के बाद आपका पुत्र दुर्योधन अपने गुरु द्रोणाचार्य के पास गया है। वह उन्हें बता रहा है कि पांडवों की सेना का नेतृत्व द्रुपद का पुत्र धृष्टद्युम्न कर रहा है। पांडव सेना में कई अच्छे योद्धा हैं। जिनमें सात्यकि,
अध्याय 2 (भाग 1) सांख्यदर्शनअर्जुन को दुविधा की स्थिति में देखकर श्रीकृष्ण ने उससे कहा कि हे अर्जुन तुम इस प्रकार की दुर्बलता क्यों दिखा रहे हो ? तुम इस भ्रम की अवस्था में किस तरह आ गए ? ...Read Moreजैसे महान योद्धा को इस तरह का आचरण शोभा नहीं देता है। यह तुम्हारे और तुम्हारे वंश के लिए अपकीर्ति लेकर आएगा। कायर मत बनो। ह्रदय की दुर्बलता को त्याग कर युद्ध करो। श्रीकृष्ण के इस तरह के वचन सुनकर भी अर्जुन की दुविधा समाप्त नहीं हुई। उसने कहा कि उसे यही लग रहा है कि स्वजनों की हत्या कर
अध्याय 2 (भाग 2) सांख्यदर्शनश्रीकृष्ण ने पहले तो अर्जुन को समझाया कि वह अपने स्वभाव के विपरित आचरण कर रहा है। वह एक वीर योद्धा है। युद्ध से विमुख होकर सन्यास की बातें करना उसका वास्तविक स्वभाव नहीं है। ...Read Moreमें पड़कर वह भूल गया है कि अन्याय के विरुद्ध लड़ना ही क्षत्रिय का स्वभाव होता है। अपने क्षत्रिय धर्म को त्याग कर वह उस अपकीर्ति के मार्ग पर चल रहा है जो उसके साथ उसके कुल के लिए भी घातक है। अर्जुन को जब यह बात समझ आ गई तब उन्होंने उसके उस मोह को तोड़ने का काम किया
अध्याय 3 कर्मयोग दूसरे अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को लाभ हानि, राग द्वेष, मान अपमान से ऊपर उठकर एक स्तिथिप्रज्ञ व्यक्ति बनने का उपदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि अर्जुन को कर्म के फल की चिंता ...Read Moreअपने कर्म का पालन करना चाहिए। श्रीकृष्ण ने जो ज्ञान दिया उसे सुनने के बाद अर्जुन और भी दुविधा में पड़ गया। उसने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि आपने मुझे राग द्वेष, लाभ हानि, मान सम्मान से ऊपर उठने को कहा है। आप चाहते हैं कि मैं मेरे कर्म से प्राप्त होने वाले फल के उपभोग की लालसा त्याग दूँ।