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ओ...बेदर्दया by Saroj Verma in Hindi Novels
एक ऐसी प्रेमकहानी जो हमेशा के लिए अधूरी रह गई,एक शक ने दोनों को हमेशा के लिए एकदूसरे से जुदा कर दिया... "सौरभ कल सुबह जल...
ओ...बेदर्दया by Saroj Verma in Hindi Novels
शास्त्री जी जैसे ही सौरीगृह में पहुँचें तो उन्हें देखकर शैलजा खुशी से रो पड़ी और उनसे बोली... "लीजिए!आपका लाल आपका इन्तजा...
ओ...बेदर्दया by Saroj Verma in Hindi Novels
शैलजा का अन्तर्मन तड़प रहा था कि उसने इतनी बड़ी बात अपने पति से छुपाई,उसका वश चलता वो अभी उन्हें सबकुछ बता देती,लेकिन बच्च...
ओ...बेदर्दया by Saroj Verma in Hindi Novels
जब शास्त्री जी घर लौटे तो शैलजा ने उन्हें सब बता दिया,इस बात से शास्त्री जी बहुत नाराज हुए और शैलजा से बोलें... "मैं अभी...
ओ...बेदर्दया by Saroj Verma in Hindi Novels
शैलजा भीतर से बहुत डरी हुई थी,क्योंकि वो लल्लन की हरकतों से पूरी तरह से वाकिफ थी,लल्लन का मेल जोल नेताओं और गुण्डों के स...