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लहरों की बाांसुरी by Suraj Prakash in Hindi Novels
1 रचना काल 2015 अभी वाशरूम में हूँ कि मोबाइल की घंटी बजी है। सुबह-सुबह कौन हो सकता है। सोचता हूँ और घंटी बजने देता हूँ।...
लहरों की बाांसुरी by Suraj Prakash in Hindi Novels
2 - एक बात तुमसे और शेयर करती हूं और तुम्‍हें यह जान कर खुशी होगी समीर कि लगातार तीसरे बरस का कंपनी का बेस्ट परफॉर्म...
लहरों की बाांसुरी by Suraj Prakash in Hindi Novels
3 मैं भी बेड की टेक लगा कर लैपटॉप के सामने हो गया हूं। हम दोनों बेहद नज़दीक हैं। इतने कि एक दूसरे की सांसों की आवाज़ तक...
लहरों की बाांसुरी by Suraj Prakash in Hindi Novels
4 हम दिन भर खूब घूमे हैं। पैदल। एक एक दुकान में जा कर झांकते रहे। अंजलि ने ढेर सारी चीज़ें खरीदीं और सारी चीज़ें आखिरी द...
लहरों की बाांसुरी by Suraj Prakash in Hindi Novels
5 जिस वक्‍त रेत पर हमारी कुर्सियां लगायी गयी हैं बारह बज रहे हैं। अचानक अंजलि ने वेटर को बुलवाया है और एक पैकेट सिगर...