Majdoor by नंदलाल मणि त्रिपाठी

मजदूर by नंदलाल मणि त्रिपाठी in Hindi Novels
रामू उठ भोर हो गया कब तक सोते रहोगे जो सोता है वो खोता है जो जागता है पाता है रामू के कानो में ज्यो ही पिता केवल के शब्द...
मजदूर by नंदलाल मणि त्रिपाठी in Hindi Novels
रामू अपने कार्यालय में एक दिन सुबह ठीक दस बजे पंहुचा आये पत्रों को और समस्याओं को पढ़ता शुरू किया और उसके उचित निदान का न...