Hadsa book and story is written by Ratna Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Hadsa is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
हादसा - Novels
by Ratna Pandey
in
Hindi Moral Stories
आज पूनम और प्रकाश का विवाह था। बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ, धूमधाम से यह विवाह हो रहा था। पूनम बहुत ख़ुश थी, क्योंकि एक ही शहर में ससुराल और मायका दोनों थे।
विदाई के समय जब उसके पापा मोहन अपने आँसुओं से भरी आँखों को छुपा रहे थे; तब पूनम ने कहा, “पापा यहीं तो हूँ 15-20 मिनट की दूरी पर, जब मन करे या तो आप आ जाना या मुझे बुला लेना।”
पूनम के पापा ने कहा, “नहीं बेटा शादी के बाद जब मन करे मिलना नहीं हो सकता। तुम्हारे सास-ससुर को पता नहीं कैसा लगेगा।”
तब पूनम की सासू माँ जो उनके पीछे ही खड़ी थीं; उन्होंने कहा, “समधी जी आप ग़लत सोच रहे हैं। आप जब चाहे आ भी सकते हैं और अपनी बेटी को ले जा भी सकते हैं। हमारे घर कोई रोक-टोक नहीं होगी। यह प्यार का गठबंधन है समधी जी केवल प्रकाश के साथ ही नहीं हमारे पूरे परिवार के साथ है। इसलिए आप अपने मन में किसी भी तरह का बोझ मत रखिए।”
पूनम के पापा ने उनकी बात सुनकर उनके सामने हाथ जोड़ते हुए कहा, “धन्यवाद कल्पना जी, मेरी पूनम बहुत ही सौभाग्यशाली है जो उसे आपका परिवार मिला वरना विवाह के बाद तो अधिकतर ससुराल वाले सोचते हैं कि बस अब माता-पिता का अधिकार ख़त्म हो गया। शायद इसीलिए बेटी को पराया धन कहने की हमारे समाज को आदत पड़ गई है। इसे बेटी के माता-पिता की विवशता ही समझिए कि विवाह होने के बाद बेटी से मिलने के लिए उसकी ससुराल वालों से अनुमति लेनी होती है। कभी-कभी तो बेटी को महीनों तक मायके का मुँह देखने को नहीं मिलता।”
आज पूनम और प्रकाश का विवाह था। बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ, धूमधाम से यह विवाह हो रहा था। पूनम बहुत ख़ुश थी, क्योंकि एक ही शहर में ससुराल और मायका दोनों थे। विदाई के समय जब ...Read Moreपापा मोहन अपने आँसुओं से भरी आँखों को छुपा रहे थे; तब पूनम ने कहा, “पापा यहीं तो हूँ 15-20 मिनट की दूरी पर, जब मन करे या तो आप आ जाना या मुझे बुला लेना।” पूनम के पापा ने कहा, “नहीं बेटा शादी के बाद जब मन करे मिलना नहीं हो सकता। तुम्हारे सास-ससुर को पता नहीं कैसा लगेगा।”
नंदिनी से विदा लेकर प्रकाश और पूनम प्लेन में बैठ गए। आधे घंटे की हवाई यात्रा के बाद वह दोनों अपने होटल पहुँच गए। तब शाम के लगभग छः बज रहे थे। प्रकाश ने कहा, “पूनम हमारी ज़िंदगी की ...Read Moreशुरुआत हो रही है। तुम जल्दी से तैयार हो जाओ मैं भी फ्रेश हो जाता हूँ, हम अपने हनीमून की शुरुआत मंदिर से देवी माँ का आशीर्वाद लेकर करेंगे। नदी के उस पार टेकरी पर माताजी का मंदिर है। हम नाव से वहां जायेंगे और दर्शन करके वापस आएंगे, तब तक रात हो जाएगी। बस फिर कल से इन वादियों
प्रकाश की बात मानकर ना चाहते हुए भी पूनम अनमने मन से प्रकाश का हाथ पकड़कर नाव पर चढ़ने लगी। चढ़ते-चढ़ते वह सोच रही थी कि प्रकाश ठीक ही तो कह रहा है, इन लोगों का तो रोज का ...Read Moreकाम है। तब तक नाविक ने बैठे हुए लोगों को खसकाना शुरु कर दिया। “अरे मैम साहब थोड़ी जगह करिए, अरे साहब आप भी थोड़ा खसकिये ना, बैठने दीजिये साहब और मैम साहब को।” धीरे-धीरे, थोड़ा-थोड़ा खसका कर नाविक ने जैसे-तैसे जगह बनवा ही दी। ख़ुशनुमा मौसम था, चाँदनी हर तरफ अपना सौंदर्य बिखेर रही थी। सरिता मंद-मंद मुस्कुरा कर
मंदिर पहुँच कर देवी माँ के सामने उन्होंने नतमस्तक होकर प्रार्थना की। पूजा अर्चना के बाद मंदिर की परिक्रमा कर दोनों प्रसाद लेकर बाहर आए। पहाड़ी के टीले पर बैठकर हाथों में हाथ डाले, दोनों अपने सुंदर भविष्य के ...Read Moreदेख रहे थे। एक घंटा कैसे बीत गया उन्हें पता ही नहीं चला। तभी प्रकाश ने अपनी घड़ी की तरफ देखते हुए कहा, “चलो पूनम समय हो गया है। ऐसा लगता है इन प्यार के लम्हों में समय की गति कुछ ज़्यादा ही तेज़ हो जाती है। तुम्हारे साथ तो ज़िंदगी कैसे कट जाएगी पता ही नहीं चलेगा।” पूनम ने
उस समय नदी के किनारे कई तैराक उपस्थित थे, जिन्हें इस नाव को देखकर यह आभास हो गया था कि यह नाव सही सलामत किनारे लग जाए तो यह चमत्कार ही होगा। जैसे ही नाव गुलाटी खाकर डूबने लगी, ...Read Moreतैराक अपनी जान पर खेल कर सरिता में कूद पड़े। जितनों को बचा सकते थे, भरसक प्रयत्न करके बचा लिया। जो भाग्यशाली थे बच गए, जिनकी क़िस्मत में वहीं अंत लिखा था नदी के तल में समा गए। जो बाहर निकाले गए वह भी ख़ुद भले ही बच गए लेकिन अपने साथ वापस घर जाने के लिए अब उनके साथ