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नसबंदी by Swati in Hindi Novels
आज धूप बहुत तेज़ है, चला भी नहीं जा रहा है। प्रेमलता उसका नहर के किनारे इंतज़ार कर रही होगी। यहीं सब सोचते हुए सुयश मोहन क...
नसबंदी by Swati in Hindi Novels
अब बहन को ही देखा जायेगा? या फ़िर कुछ कहेगा भी ? मोहन ने अपनी खोई हुई आवाज़ को ढूँढा और फ़िर ज़ोर से बोला, "क्यों री बेला यह...
नसबंदी by Swati in Hindi Novels
माखनलाल और उसका भाई अपना फरमान सुनाकर चले गए और अम्मा ने रोना शुरू कर दिया । बताओ, रिश्ता तोड़ने का बहाना भी सही ढूँढा है...
नसबंदी by Swati in Hindi Novels
अगले दिन जब वह नन्दकिशोर से मिला तो वह भी मोहन की बात सुनकर पीपल के पेड़ के पास सिर पकड़कर बैठ गया । भाई, यह सब कैसे हो गय...
नसबंदी by Swati in Hindi Novels
बेला की शादी हो गई, वह हँसी-ख़ुशी से अपने नन्द किशोर के घर आ गई। मगर मोहन की पूरी दुनिया ही उजड़ गई थीं । उसने सोच लिया कि...