Bahut karib h Manzil book and story is written by Sunita Bishnolia in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bahut karib h Manzil is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बहुत करीब मंजिल - Novels
by Sunita Bishnolia
in
Hindi Moral Stories
‘‘वाह! बहनजी, बहुत ही खूबसूरत कढ़ाई की है इन चुन्नियों पर। अब ये सारी चुन्नियाँ सीधी फिल्मों के सेट पर जाएँगी। इन चुन्नियों को फिल्मों की हिरोइनें अपनी फिल्मों में ओढ़ेंगी।’’ सूट बूट पहने व्यक्ति ने एक-एक कर सभी चुन्नियों को देखते हुए कहा।
घर में आए उस अनजान व्यक्ति के मुँह से चुन्नियों की तारीफ़ सुनकर तारा की माँ बहुत खुश हुई। उस आदमी की बात सुनकर बाबा भी कमरे से बाहर आ गए थे। वो बोलें -‘'ये हमारी लाड़ली तारा के हाथों का कमाल है।’'
‘हाँ भाई साहब मोहल्ले की औरतों को देख-देख कर हमारी बेटी को बचपन से ही ये शौक चढ़ गया। इसने सिलाई-कढाई किसी सीखी नहीं बल्कि सब कुछ देख-देखकर अपने-आप अपनी मेहनत और दिमाग से सीखा और बनाया है। ये है हमारी बेटी तारा।’’ सीढ़ियों में खड़ी तारा की तरफ हाथ से इशारा करते हुए माँ ने कहा।
सूट बूट वाले ने तारा की तरफ देखा तो वो देखता ही रह गया और मन ही मन बुदबुदाया -‘‘इतनी छोटी उम्र और इन हाथों में इतना हुनर। हाथ चूमने का मन कर रहा है इसके।’’
पर उसने अपने आप को संभालते हुए कहा- ‘‘ हाँ बहनजी इस तरह का काम कोई बहुत ही हुनरमंद व्यक्ति ही कर सकता है। आप बहुत भाग्यवान हैं कि आपकी बेटी इतनी अच्छी सिलाई-कढ़ाई करती है। हाँ तो बहनजी इन सबके मिलाकर कितने पैसे हुए ।’’
‘‘ बहुत करीब मंजिल ’’‘‘वाह! बहनजी, बहुत ही खूबसूरत कढ़ाई की है इन चुन्नियों पर। अब ये सारी चुन्नियाँ सीधी फिल्मों के सेट पर जाएँगी। इन चुन्नियों को फिल्मों की हिरोइनें अपनी फिल्मों में ओढ़ेंगी।’’ सूट बूट पहने व्यक्ति ...Read Moreएक-एक कर सभी चुन्नियों को देखते हुए कहा। घर में आए उस अनजान व्यक्ति के मुँह से चुन्नियों की तारीफ़ सुनकर तारा की माँ बहुत खुश हुई। उस आदमी की बात सुनकर बाबा भी कमरे से बाहर आ गए थे। वो बोलें -‘'ये हमारी लाड़ली तारा के हाथों का कमाल है।’' ‘हाँ भाई साहब मोहल्ले की औरतों को देख-देख कर
"एक महीने में दस चुन्नियों पर कढ़ाई...! ना ना भाई साहब माफ करें। वैसे भी तारा के पास समय नहीं और इतनी चुन्नियाँ एक साथ..!" तारा की माँ की बात सुनकर उस व्यक्ति ने तारा की माँ को यह ...Read Moreकि हाथ की कढ़ाई वाली यह चुन्नियाँ वो फिल्मों में काम करने वाली हीरोइनों के लिए ले रहा है और वहाँ हाथ की कढ़ाई की इन चुन्नियों की बहुत कीमत है। यह जानकर तारा की माँ बड़ी खुश हुई कि उसकी बेटी के हाथ का हुनर पसंद किया जा रहा है और बहुत आगे जा रहा है पर उन्होंने और
"ना - ना अभी बहुत छोटी है तारा उसे कुछ समझ नहीं.. और घर पर तो मैं देख लेती हूँ, बाहर.. ना - बाबा ना।" तारा की माँ ने साफ इंकार करते हुए कहा। " ओहो! कौन-सा मैं अभी ...Read Moreरहा हूँ…!" पिताजी बात पूरी करते इससे पहले ही माँ ने उन्हें टोकते हुए कहा। " कौन-सा इसे यहाँ रहना है, ससुराल में जाकर कर लेगी जो करना है। "" क्यों यहाँ क्यों नहीं, मैं तो तारा की शादी तभी करूँगा जब ये अपने पैरों पर खड़ी हो जाएगी… अब क्या करना है ये जाने…! " पिताजी ने तारा की
कभी लाल के साथ हरा तो कभी नीले के साथ पीला। इन सतरंगी धागों के मिलने से शाखों से बाहर निकलने लगती हैं कलियां और फूल-पत्तियों के झुरमुट। हर बार ये फूल अपनी हद में ही रहते हैं और ...Read Moreरहते हैं शाख से। पर इस बार जाने क्यों इस बार ये शाखें भी फूलों से इतनी लद गई है कि झुक गई है इनके बोझ से। ये फूल भी आमादा हैं खुद शाख से गिरने या शाखा को गिराने के लिए। भाग रहे हैं ये अपनी ही खुशबू के पीछे और बिखर रहे हैं आस-पास। डिजाईन के हिसाब से
चंदा जीजी से तो नन्नू बहुत ज्यादा डरता था उसे पता था कि वो पीटती है तो बीच में बोलने की किसी की हिम्मत नहीं और किसी के मनाने का तो सवाल ही नहीं उठता। बेचारा कितना ही रो ...Read Moreफिर तो कोई खाने तक को नहीं पूछता इसलिए वो चंदा जीजी से थोड़ा दूर ही रहता है। नन्नू रात के लगभग दस बजे तक सो जाता है। पर आज न जाने नन्नू को क्या हुआ उसे नींद ही नहीं आ रही और वो बार-बार में तारा जीजी के कमरे के चक्कर काट रहा था। उसके इस तरह आने-जाने से