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रॉबर्ट गिल की पारो by Pramila Verma in Hindi Novels
1 दिसंबर 1849 में रॉबर्ट गिल को डायरेक्टर आॅफ कोर्ट की मुहर लगा लिफाफा मिला। इतने वर्षों बाद उसे मेजर के पद पर पदोन्नत क...
रॉबर्ट गिल की पारो by Pramila Verma in Hindi Novels
भाग 2 अपने शौक को एक नया अंजाम देने के लिए रॉबर्ट ने एक लम्बी छुट्टी ले ली। उसने पेन्टिंग करने का सामान रखा और लंदन से ब...
रॉबर्ट गिल की पारो by Pramila Verma in Hindi Novels
भाग 3 रॉबर्ट उस पहाड़ी के सामने खड़ा था जहाँ टैरेन्स का बंगला था। हालांकि काफी समय हो चुका था, शाम ढले। लेकिन, चारों ओर उज...
रॉबर्ट गिल की पारो by Pramila Verma in Hindi Novels
भाग 4 ‘‘रॉबर्ट! मानो मैं वहाँ मौजूद था। अक्षरश: सुन और देख रहा था। अगाथा की माँ जो मेरी हम उम्र सहेली थीं, व...
रॉबर्ट गिल की पारो by Pramila Verma in Hindi Novels
भाग 5 जॉन एफ पीटर के ननिहाल से माँ के भाई का बेटा अर्थात जॉन का कजिन उस दिन अचानक आ गया। खाना बन चुका था और जी़निया और ज...