मेदिनी by Annapurna Bajpai in Hindi Novels
मेदिनीचूल्हे को फुँकनी से फूँक कर जलाती हुई सिया अपने पल्लू से बार - बार आँखों को पोंछती जाती थी , धुँए की जलन से उसकी आ...