हाय रे मुहब्बत by Baalak lakhani in Hindi Novels
काफी महीनों से मेरी कलम मुझसे रूठ गई थी या मे खुद लिखने को प्रेरित नहीं होता था, या फिर एसे किस्से मेरे कानो तलक पहुचे न...