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मेल by Jitin Tyagi in Hindi Novels
आज एक बार फिर उसका मेल आया है। मरहम का रूप धरकर, पर जिस घाव के लिए आया है।, कृति उस घाव के दर्द से कब का निजात पा चुकी ह...
मेल by Jitin Tyagi in Hindi Novels
सूरज दिनभर अपनी ड्यूटी करकर थक गया है। इसलिए उसने अपनी किरणों की समेटना शुरू कर दिया है। मौसम वैज्ञानिक इस स्थिति को शाम...
मेल by Jitin Tyagi in Hindi Novels
बच्चों के लिए खाना बनाने, खिलाने, और होमवर्क कराकर उन्हें सुलाने में करीब दस बज गए। इन सबके बाद जब वो अपने कमरे में आयी...
मेल by Jitin Tyagi in Hindi Novels
उन दिनों वक़्त ही तेज़ी से भाग रहा था। या बच्चें ही जल्दी बड़े हो गए थे। ये मुझे बिल्कुल पता नहीं चला। शायद मैं खुद में...