Vividha by Yashvant Kothari

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विविधा by Yashvant Kothari in Hindi Novels
यशवंत कोठारी 1-कवियों-शायरों की होली बात होली की हो और कविता, शेरो-शायरी की चर्चा न हो, यह कैसे संभव हैं ? होली का अपना...
विविधा by Yashvant Kothari in Hindi Novels
2-समकालीन साहित्य: सही दिशा की तलाश  मूल प्रश्न है, साहित्य क्या है आजकल के साहित्य दो तरह का लेखन करते हैं। एक जो...
विविधा by Yashvant Kothari in Hindi Novels
3-व्यंग्य -दशा और दिशा  हिन्दी साहित्य मे लम्बे समय से व्यंग्य लिखा जा रहा है, मगर आज भी व्यंग्य का दर्जा अछूत का ह...
विविधा by Yashvant Kothari in Hindi Novels
4-व्यंग्यकार यशवन्त कोठारी से साक्षात्कार  ‘व्यंग्य में बहुत रिस्क है।’  इधर जिन युवा रचनाकारों ने...
विविधा by Yashvant Kothari in Hindi Novels
5-साहित्य के शत्रु हैं सत्ता, सम्पत्ति और संस्था डॉ. प्रभाकर माचवे  डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने डॉ. माचवे के लिए ल...