Laut aao Deepshikha by Santosh Srivastav

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लौट आओ दीपशिखा by Santosh Srivastav in Hindi Novels
गुलमोहर के साये में स्थित वह खूबसूरत बंगला जो ‘गौतम शिखा कुटीर’ के नाम से मशहूर था और जो कभी रौनक से लबरेज़ हुआ करता था आ...
लौट आओ दीपशिखा by Santosh Srivastav in Hindi Novels
“ठीक है, शेफ़ाली भी अगले महीने आ जाएगी तब तुम शायद होमसिक नहीं होगी सुलोचनाटेंशन में आ जाती हैं-तुम्हारे अकेलेपन को सोचक...
लौट आओ दीपशिखा by Santosh Srivastav in Hindi Novels
सुलोचना के चेहरे पर मुस्कुराहट देख वे परेशान हो उठे- “तुम मेरी बात कोतवज़्ज़ोनहीं दे रही हो ”
“मैं सोच रही हूँ कि आख़िर है...
लौट आओ दीपशिखा by Santosh Srivastav in Hindi Novels
“तुम्हारा बदन जैसे साँचे में ढला हो..... पत्थर कीशिला को तराशकर जैसे मूर्तिकार मूर्ति गढ़ता है ” वह रोमांचित हो उठी थी अ...
लौट आओ दीपशिखा by Santosh Srivastav in Hindi Novels
चाँगथाँग वैली में झील के ऊपर कुछ काली पूँछ वाले परिंदे उड़ रहे थे काली गर्दन वाले सारस भी थे लद्दाख़ में इन्हें समृद्धि क...