Jivan Bina by Anangpal Singh Bhadoria

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जीवन वीणा by Anangpal Singh Bhadoria in Hindi Novels
अपनी बात --------------वीणा घर में रखी पुरानी , लेकिन नहीं ब...
जीवन वीणा by Anangpal Singh Bhadoria in Hindi Novels
किया बजाना बंद, फेंकने वाले ने फिर वीणा मांगी ।अंतर्मन पछतावा जागा,ललक बजाने की भी जागी ।।पर फकीर ने मना कर दिया, पहले स...
जीवन वीणा by Anangpal Singh Bhadoria in Hindi Novels
मुक्ति न पूर्व संस्कारों से, चाहें नये गढ़ रहे न्यारे ।ध्यान न देते कभी ध्यान पर,भौतिकता में वक्त गुजारे।।इस दुन...
जीवन वीणा by Anangpal Singh Bhadoria in Hindi Novels
दुर्लभ देह पाय मानव की, जो उन्नति पथ नहीं बनाते ।वह कृतघ्न हैं मंद बुद्धि हैं, अपना जीवन व्यर्थ गंवाते ।।अमृत पात्र दिया...
जीवन वीणा by Anangpal Singh Bhadoria in Hindi Novels
केवल भौतिक जीवन जीना, एकांकी वा अनहितकारी ।अध्यात्मिक जीवन के बिन नहिं,जीवन होय पूर्णता धारी।।धर्म-अर्थ वा काम-मोक्ष की,...