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प्यार के इन्द्रधुनष by Lajpat Rai Garg in Hindi Novels
अपनी बात पूर्णावतार श्री कृष्ण की क्रीड़ा-स्थली - वृन्दावन जाने का प्रथम अवसर प्राप्त हुआ था दिसम्बर 1968 के शीतकालीन अव...
प्यार के इन्द्रधुनष by Lajpat Rai Garg in Hindi Novels
- 2 - दृष्टि अन्तर्मुखी हुई तो कॉलेज के प्रारम्भिक दिनों की घटना सचेत हो उठी …. तीसरा पीरियड चल रहा था, प्रोफ़ेसर...
प्यार के इन्द्रधुनष by Lajpat Rai Garg in Hindi Novels
- 3 - पीएमटी के द्वितीय प्रयास में वृंदा को आशातीत सफलता मिली। उसका एडमिशन सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर में हो गया।...
प्यार के इन्द्रधुनष by Lajpat Rai Garg in Hindi Novels
- 4 - दो साल में मनमोहन ग्रेजुएट हो गया। इस अवधि में दोनों के बीच पत्रों का आदान-प्रदान तो होता रहा, किन्तु वे एक-दूसरे...
प्यार के इन्द्रधुनष by Lajpat Rai Garg in Hindi Novels
- 5 - मनमोहन नौकरी पाने में सफल रहा। नौकरी लगने के पश्चात् उसके विवाह के लिए रिश्ते आने लगे। वह टालमटोल करता रहा। एक रवि...