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विशाल छाया by Ibne Safi in Hindi Novels
इब्ने सफ़ी अनुवादक : प्रेम प्रकाश (1) रमेश ने कमरा सर पर उठा रखा था । उसकी आँखे लाल थी मुंह से कफ निकल रहा था । बाल माथे...
विशाल छाया by Ibne Safi in Hindi Novels
(2) मगर विनोद अपनी धुन में चलता रहा । हमीद ने कई बार रुक रुक कर उन आंखों को घूरा, किसके कारण वह विनोद से पीछे रह गया ।&n...
विशाल छाया by Ibne Safi in Hindi Novels
(3) हमीद की आंख खुल गई ।  उसने चारों ओर आँखे फाड़ फाड़ कर देखा । यह एक बड़ा सुंदर कमरा था, जिसमें दीवारों पर राग रागनि...
विशाल छाया by Ibne Safi in Hindi Novels
(4) हमीद ने दो एक बार सर को झटका दिया और फिर उठ कर दबे पाँव केबिन से बाहर निकला। उसका अनुमान गलत सिद्ध हुआ। यह लांच नहीं...
विशाल छाया by Ibne Safi in Hindi Novels
(5) “हेलो ! कर्नल विनोद स्पीकिंग ?” “इट इज सिक्स नाईन सर !” “हां हां ...कहो क्या रिपोर्ट ह...