Prem Nibandh book and story is written by Anand Tripathi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Prem Nibandh is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
प्रेम निबंध - Novels
by Anand Tripathi
in
Hindi Love Stories
प्रेम क्या है अमरता की निशानी या फिर सिर्फ एक जवानी जिसको हम जीना चाहते हैं या जिसको हम पाना चाहते हैं अथक प्रयास करने के बाद भी वह नहीं मिलता है फिर सोचते हैं कि कितना बड़ा है जो कि हमें नहीं मिलता है क्योंकि मनुष्य यह बात तो सर्वथा जानता है कि अगर वे चाहें कुछ भी नहीं सकता प्रेम कैसी चीज है जिसे कूटनीति के द्वारा जीता नहीं जा सकता है सदैव यही बात मन में बनी रहती है एक आशंका की तरह और एक आशा की तरह अगर मैं कहूं की प्रेम जिम्मेदारी का काम है। तोह गलत होगा क्योंकि सर्वदा मैंने यह देखा है और पाया है की प्रेम केवल और केवल भाव प्रधान ही होता है जबकि इसके विपरीत आज के समय में लोगों ने इसको एक जिम्मेदारी का कार्य माना है यहीं कही हद तक सही है क्योंकि आज का समय भी शायद कुछ ऐसा ही है जिसको मनुष्य ने अपने हिसाब से बनाया है
प्रेम क्या है अमरता की निशानी या फिर सिर्फ एक जवानी जिसको हम जीना चाहते हैं या जिसको हम पाना चाहते हैं अथक प्रयास करने के बाद भी वह नहीं मिलता है फिर सोचते हैं कि कितना बड़ा है ...Read Moreकि हमें नहीं मिलता है क्योंकि मनुष्य यह बात तो सर्वथा जानता है कि अगर वे चाहें कुछ भी नहीं सकता प्रेम कैसी चीज है जिसे कूटनीति के द्वारा जीता नहीं जा सकता है सदैव यही बात मन में बनी रहती है एक आशंका की तरह और एक आशा की तरह अगर मैं कहूं की प्रेम जिम्मेदारी का काम है।
मैं सन 2012 में दिल्ली आया। एक बड़ा शहर बड़ी ख्वाहिश बड़े सपने और बड़ी मंजिलों को पाने के लिए हर एक व्यक्ति ऐसे बड़े शहरों की ओर एक न एक बार जरूर रुक करता है मैं भी उनमें ...Read Moreएक था ऐसा लगता था मानो दिल्ली के लिए मन सतह प्रेमा कुल होता है जैसे कि जोधा अकबर की कहानी को भी दिल्ली ने ही कभी सजाया हो। मैं दिल्ली आ तो गया था जैसे तैसे करके हम लोग अपनी पेट पूजा भी कर लेते थे लेकिन बात सपनों की थी तरक्की की थी और किसी चीज को पाने
यह उन दिनों की बात है जब लोग कहा करते हैं कि संभल के चलो वरना जवानी में पैर फिसल जाएंगे। बस कुछ उनको ही फॉलो कर रहा था मैं। लेकिन मेरे साथ कुछ अजीब घटने वाला था यह ...Read Moreखुद नहीं पता था। उस दिन मैं सुबह नहा धोकर आराम से स्कूल गया वहां पढ़ाई किया गपशप मारा और बहुत से दोस्तो के साथ बात चीत भी हुई। टीचर से शाबाशी भी मिली लेकिन मन अशांत था मेरे अंदर कुछ ना कुछ तो चल रहा था जो कि मुझे ही नहीं पता था इतना जरूर पता था। की आज मेरे बगल
ऐसी उम्र में जब बहुत संभल कर चलना चाहिए तब अगर कोई भी गलती से भी फिसल जाए तो सोचिए उसकी जिंदगी का भविष्य कैसा होगा। खैर मैं इन सब बातो से अनजान एक मदिरा की एक बूंद जैसे ...Read Moreसूखे होठों के अंदर बैठी जिव्हा ने जैसे ही अस्वादन किया हो और मैं किसी शराबी की तरह नाच रहा हू। ऐसा लग रहा था जब मैं पहली बार उनसे मिल रहा था। अब सिर्फ दिन रात उनका इंतजार और उनकी ही बाते होती थी। प्रेम केवल दो जिस्म का एक होना नही बल्कि उसका प्रथम अहसास और आभाष होना की
उनके अपने ही परिवार की संख्या अधिक थी। कोई यहां तो कोई वहा रहता था। अब वो तो पहली बार आई थी। तो घर के लोग कभी इनके यहां तो कभी उनके यहाँ पर उनको ले जाते थे। और ...Read Moreडर लगता था कि मैं स्कूल से घर जाऊं और वो कही दूसरी जगह न हो। इस मरे कभी स्कूल में मन ही नही लगता था। अब तो सब वही है। ऐसा लगता था। हृदय बहुत कमाल की चीज है। जिसमे आपके और हमारे कई राज छुपे है। जिनको बयान करना इतना आसान नहीं है। इसलिए उनको छुपाते फिरते है।