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दो आशिक़ अन्जाने by Satyadeep Trivedi in Hindi Novels
रात के ढाई बज रहे हैं। पूरनमासी का चाँद सूरज को न्यौता देकर छिपने की तैयारी में है। ट्रक का स्पीडोमीटर अस्सी से सौ के बी...
दो आशिक़ अन्जाने by Satyadeep Trivedi in Hindi Novels
नियम कहता है कि हर किसी को अपनी गलती सुधारने का एक मौका मिलना चाहिए। हालांकि प्रकृति की श्रेष्ठतम संतान होने के नाते, प्...
दो आशिक़ अन्जाने by Satyadeep Trivedi in Hindi Novels
आय प्रमाण पत्र और राशन कार्डों को अगर आधार मानें, तो यूपी-बिहार के 60% लोग; भूखों मर जाने की हद तक ग़रीब हैं। इन दोनों रा...
दो आशिक़ अन्जाने by Satyadeep Trivedi in Hindi Novels
अप्रैल का महीना। गेहूँ की फ़सल कटने लगी है। सड़क के दोनों ओर दूर तक फ़ैले खेतों में गेहूँ के डंठल चमक रहे हैं। दोनों किनारो...
दो आशिक़ अन्जाने by Satyadeep Trivedi in Hindi Novels
भारतीय पुरुषों की एक ख़ास बात है कि सौंदर्य-दर्शन होते ही, इन्हें शक्ति प्रदर्शन करने की सनक चढ़ जाती है। कोई सुंदरी सामने...