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प्रतिशोध. by Ashish Dalal in Hindi Novels
आशीष दलाल (१) ढ़लती दोपहर को अपने कमरे की खिड़की के पास बैठे हुए श्रेया बाहर बरसती बारिश की बूंदो को अपलक निहार रही थी । प...
प्रतिशोध. by Ashish Dalal in Hindi Novels
(२) नैतिक का सवाल सुनकर श्रेया चुप थी । फिर खुद ही बोलने लगी, ‘तुम्हें यह तो पता ही है कि रोहन के पापा मेरे पापा क...
प्रतिशोध. by Ashish Dalal in Hindi Novels
(३) अंधेरें में दोनों कुछ देर तक आपस में लिपटकर एक दूसरे की देह की गर्माहट को अनुभव करते रहे । तभी लाईट आ गई और पूरा कमर...
प्रतिशोध. by Ashish Dalal in Hindi Novels
(४) रात को वन्दना ने याद कर नैतिक की पसन्द की चीजें खाने में बनाई थी । श्रेया ने काफी दिनों से खाली पड़े फ्लावर पॉट में र...
प्रतिशोध. by Ashish Dalal in Hindi Novels
(५) चार महीनों बाद दीवाली के बाद एक सादे समारोह के रूप में करीबी रिश्तेदारों की हाजरी में नैतिक और श्रेया की शादी सम्पन्...