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अजीब दास्तां है ये.. by Ashish Kumar Trivedi in Hindi Novels
(1) शारदा हाउसिंग सोसाइटी में आज की सुबह भी वैसी थी जैसे रोज़ होती थी। अखबार वाले, दूध, अंडा और ब्रेड सप्लाई करने वाले स...
अजीब दास्तां है ये.. by Ashish Kumar Trivedi in Hindi Novels
(2) मुकुल कुछ समय पहले ही सोसाइटी की मीटिंग से लौटा था। हर बार की तरह मीटिंग में कुछ शिकायतें आईं, कुछ सुझाव दिए गए। उसक...
अजीब दास्तां है ये.. by Ashish Kumar Trivedi in Hindi Novels
(3) दो महीने बीत गए थे। मुकुल और रेवती के बीच एक दोस्ती का रिश्ता पनप चुका था। दोनों अब खुलकर एक दूसरे से बात करते थे। स...
अजीब दास्तां है ये.. by Ashish Kumar Trivedi in Hindi Novels
(4) बात खत्म करके रेवती ने मुकुल को अपने साथ आने को कहा। वह उसे लेकर कैफ़े के बाहर चली गई। कैफ़े के बगल में एक छोटा सा ग...
अजीब दास्तां है ये.. by Ashish Kumar Trivedi in Hindi Novels
(5) मुकुल अपने एक दोस्त नमित के साथ एक पार्टी में गया था। पार्टी नमित के कज़िन के नए घर के गृह प्रवेश के अवसर पर रखी गई...