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सुलझे...अनसुलझे by Pragati Gupta in Hindi Novels
सुलझे….अनसुलझे!!! (भूमिका) ------------------------ जब किसी अपरिचित की पीड़ा अन्तःस्थल पर अनवरत दस्तकें देने लगती हैं, त...
सुलझे...अनसुलझे by Pragati Gupta in Hindi Novels
सुलझे...अनसुलझे अंधी-दौड़ ------------- मैं उसको पिछले पच्चीस-तीस मिनट से एकटक गुमसुम दीवार की घड़ी को लगातार ताकते हुए दे...
सुलझे...अनसुलझे by Pragati Gupta in Hindi Novels
सुलझे...अनसुलझे अपने ------- अपने अस्पताल में काउंसिलर के रूप में काम करते हुए मुझे कई साल हो गए थे। काफी देर तक मरीज़ दे...
सुलझे...अनसुलझे by Pragati Gupta in Hindi Novels
सुलझे...अनसुलझे आहत मासूमियत ------------------- करीब दो घंटे से एक युवती को अपने चेम्बर के बाहर गुमसुम बैठा देखकर मेरे...
सुलझे...अनसुलझे by Pragati Gupta in Hindi Novels
सुलझे...अनसुलझे कभी सोचा है -------------------- पांच-छ: महीनों से एक मरीज़ा का हर महीने ही आना हो रहा था| वह अपना प्रेगन...