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दिलरस by Priyamvad in Hindi Novels
दिलरस प्रियंवद (1) पतझर आ गया था। उस पेड़ पर एक भी पत्ता नहीं बचा था। बाजरे की कलगी के एक-एक दाने को जैसे तोता निकाल लेत...
दिलरस by Priyamvad in Hindi Novels
दिलरस प्रियंवद (2) लड़के ने छह बार लड़की को देखा। पहली बार में उसने देखा कि लड़की ने रात के सोने वाले कपड़े बदले हुए थे।...
दिलरस by Priyamvad in Hindi Novels
दिलरस प्रियंवद (3) ‘नहीं... मुझे बहुत चाहिए। जितनी इधर हैं वे सब। साल भर की दवा बनानी है। पतझर साल में एक ही बार आता है।...
दिलरस by Priyamvad in Hindi Novels
दिलरस प्रियंवद (4) ‘क्या उससे सूजन ठीक हो जाती है?’ ‘वह तो बिलकुल हो जाती है।’ ‘लकड़ी की टाल वाले को जरूरत है... उसे बाद...