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स्पर्श - अनोखे रूप हे by Siddharth in Marathi Novels
कुछ मेहसुस हुवा है यु मुझको तेरी रुहँ से जुडकर जिंदगी हो तो तेरे साथ हो वरणा छोड दु ये जहाँ तुमको नजरो मे भर...
स्पर्श - अनोखे रूप हे by Siddharth in Marathi Novels
बडी मुद्दतो से जाणा है जिंदगी का सही मतलब जिंदगी वो नही होती जीसे हम सपणो मे देखते है ... तिच्या वेदनांकडे त्याचे ज...
स्पर्श - अनोखे रूप हे by Siddharth in Marathi Novels
अजब दस्तुर है दुनिया का जो जमाणे से परे है बेटी का हर गुनाह माफ है बहु की गलती भी गुनाह है नित्या रात्रीचा स्वयंप...
स्पर्श - अनोखे रूप हे by Siddharth in Marathi Novels
देखकर आयने मे खूदको हस पडी हु खुदही पे वैसे तो पूजी जाती हु हर मंदिर मे फिरभी उलझी पडी हु खुदही की पहचान मे.. हा नारी हु...
स्पर्श - अनोखे रूप हे by Siddharth in Marathi Novels
सब कुछ दिया है ए खुदा तुने मुझे न मांगते हुये भी बस इस बार जिल्लत भरी जिंदगी से मुझे मौत से नवाज दे नित्या अडखळत अड...