Dastak by Kishanlal Sharma

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दस्तक by Kishanlal Sharma in Hindi Novels
अपनी सीट पर बैठते ही संजना की नज़र मेज पर रखे लिफाफे पर पड़ी थी।उसने लिफाफा हाथ मे लेकर उलट पलट कर देखा।उस पर उसका नाम तो...
दस्तक by Kishanlal Sharma in Hindi Novels
"हॉ।कहो।""धीरज,मैं तुम्हे चाहनेे- - - अपने प्यार का इजहार करते संंजना बोली,"मैं तुम्हें अपना बनाना चाहती हूू।तुमस...
दस्तक by Kishanlal Sharma in Hindi Novels
माँ का पत्र पढ़कर वह सोचने लगा।बेटा होने के नाते उसका माँ बाप के प्रति फ़र्ज़ था।भाई के नाते बहनों के प्रति भी जिम्मेदारी थ...