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उर्वशी by Jyotsana Kapil in Hindi Novels
उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 1 " यह क्या कर डाला तुमने " उसने एक बार विस्फारित नेत्रों से भूमि पर पड़ा भाई का मृत शरीर देखा...
उर्वशी by Jyotsana Kapil in Hindi Novels
उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 2 प्रतिउत्तर में उसका हाथ आगे बढ़ा तो दीपंकर ने गर्मजोशी से उसका हाथ थाम लिया। " अद्वितीय सुंद...
उर्वशी by Jyotsana Kapil in Hindi Novels
उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 3 " यहाँ ? हमारे घर मे ?" आश्चर्य से वह उछल ही पड़ी थी। इससे पहले की पापा कोई उत्तर दें, वह लग...
उर्वशी by Jyotsana Kapil in Hindi Novels
उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 4 वह ही है मूर्ख, जो बिन सोचे समझे जाने क्या क्या कल्पना कर रही है। उन्होंने कब उसके साथ प्रे...
उर्वशी by Jyotsana Kapil in Hindi Novels
उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 5 नाटक को देखने के पश्चात घर आये तो मदालसा बनी हुई ऐश्वर्या से उन्हें विरक्ति हो उठी। अभी वह...