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गोपी गीत । by NSR... in Hindi Novels
शरत्ऋतु की पृर्णिमा थी , रात्रि का समय था । भगवान श्यामसुन्दर वन में पधारे । मुरलीधर ने बंशी की तान छेडी । बंशी की ध्वनि...
गोपी गीत । by NSR... in Hindi Novels
* गोपियाँ बोली *गोपियाँ विराहावेश में गाने लगीं…प्यारे ! तुम्हरे जन्म के कारण वैकुंड आदि लोक...
गोपी गीत । by NSR... in Hindi Novels
।। श्री राधे ।।हमारे प्यारे स्वामी! तुम्हारे चरण , कमल से भी सुकोमल ओर सुन्दर है । जब तुम गौओं को...