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हर्ज़ाना by Anjali Deshpande in Hindi Novels
हर्ज़ाना अंजली देशपांडे (1) घंटी बजी, नौकर ने दरवाज़ा खोला और वापस आकर कहा, “चार लोग हैं साब.” उनके चेहरे की हर झुर्री प्र...
हर्ज़ाना by Anjali Deshpande in Hindi Novels
हर्ज़ाना अंजली देशपांडे (2) “बड़ी ख़ुशी हुई सर, आपसे मिल कर. आपकी फोटो देखी थी न, अखबार में. आप को असल में देख लिया. बहुत इ...
हर्ज़ाना by Anjali Deshpande in Hindi Novels
हर्ज़ाना अंजली देशपांडे (3) “सर, कल इधर थे, आज उधर हो गए, दोनों जहाँ लूट रहे हैं आप,” भोपाल के बार काउन्सिल के अध्यक्ष वि...
हर्ज़ाना by Anjali Deshpande in Hindi Novels
हर्ज़ाना अंजली देशपांडे (4) “फिर भी ऐसा ही एक केस है जिसे लेने का मुझे अब बहुत ही अफ़सोस होता है. शायद अफ़सोस सही लफ्ज़ नहीं...