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तृप्ति by Saroj Verma in Hindi Novels
एक वैभवशाली राज्य में, अरे,श्याम...... आज ठीक से मृदंग क्यो नही बजा रहे,आज तुम्हारे सुर ठीक से क्यो नही लग रहे...
तृप्ति by Saroj Verma in Hindi Novels
प्रात: काल का समय ___ मंदिर का प्रांगण, अभी सूरज ने अपना प्रकाश चारों तरफ नहीं बिखेरा है,सब जगह साज-सजावट चल रही है,...
तृप्ति by Saroj Verma in Hindi Novels
रोते हुए कमलनयनी मंदिर से वापस आ गई,उसे आज बार बार रोना आ रहा था,वो कितने अच्छे मन से मंदिर गई थी लेकिन पुरोहित जी ने दू...
तृप्ति by Saroj Verma in Hindi Novels
रोते हुए कमलनयनी मंदिर से वापस आ गई,उसे आज बार बार रोना आ रहा था,वो कितने अच्छे मन से मंदिर गई थी लेकिन पुरोहित जी ने दू...
तृप्ति by Saroj Verma in Hindi Novels
रोते हुए कमलनयनी मंदिर से वापस आ गई,उसे आज बार बार रोना आ रहा था,वो कितने अच्छे मन से मंदिर गई थी लेकिन पुरोहित जी ने दू...