Pee Kahan by Ratan Nath Sarshar

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पी कहाँ? by Ratan Nath Sarshar in Hindi Novels
'पी कहाँ! पी कहाँ! पी कहाँ! पी कहाँ!' मंगल का दिन और अँधेरी रात, बरसात की रात। दो बज के सत्‍ताईस मिनट हो आए थे।...
पी कहाँ? by Ratan Nath Sarshar in Hindi Novels
कसबे से डेढ़ कोस के फासले पर एक बड़ा लंबा-चौड़ा अहाता है, दीवारें चौतरफा बहुत ऊँची-ऊँची। अहाते के बड़े फाटक के अंदर पहुँ...
पी कहाँ? by Ratan Nath Sarshar in Hindi Novels
मियाँ जोश की मशहूर चढ़ाई पर एक बहुत ऊँचा टीला था। उस पर एक खस से छाया हुआ खुशनुमा बँगला बना हुआ था, और उसी से लगी हुई एक...
पी कहाँ? by Ratan Nath Sarshar in Hindi Novels
पीतल के एक खूबसूरत पिंजड़े में एक काला कोयला-सा जानवर भुजंगे की औलाद, जंगली कौवे का नामलेवा, कोयल का पानीदेवा, बंद है। औ...
पी कहाँ? by Ratan Nath Sarshar in Hindi Novels
एक बढ़िया और नफीस और खूबसूरत बजरे पर एक बहुत खूबसूरत लड़का एक बड़े लंबे चौड़े तालाब में अपने आप खेता चला जाता था। साफ चम...